Friday, April 11, 2014

भोजपुर की इंकलाबी जनता मेरी ताकत है: राजू यादव

शासकवर्ग की राजनीतिक लहर के विपरीत जनता की लहर चलती है आरा में: राजू यादव
माले की जीत धन की ताकत पर जन की ताकत की जीत होगी: राजू यादव

आरा: 11 अप्रैल 2014 
दैनिक आज १२ अप्रैल 
प्रभात खबर 
आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के माले प्रत्याशी राजू यादव ने आज सहार व तरारी प्रखंडों केे सहार बाजार, मोआप, सिकरहटा, जनकपुरिया, अंधारी, चैंरी, बहुआरा, अमरूंहा, चक, धनछुंहा, पतलपुरा, खडांव, पेरहाप, एकवारी आदि में प्रचार अभियान चलाया। हर जगह ग्रामीणों और नौजवानों में भारी उत्साह दिख रहा है। राजू यादव ने लोगों से कहा कि भोजपुर में सामंती-सांप्रदायिक शक्तियों के आतंक और उत्पीड़न के खिलाफ गरीब-मेहनतकशों की जिस राजनीतिक दावेदारी के लिए भाकपा-माले ने पिछले चालीस वर्षों में जुझारू संघर्ष चलाया है, जिस सपने के लिए हमारे साथियों ने शहादत दी है, उन सपनों के साथ गद्दारी करने या उन सपनों को कुचलने की कोशिश करने वालों को जनता कभी भी माफ नहीं करेगी। 
दैनिक हिंदुस्तान 
राजू यादव ने कहा कि सूचना माध्यमों पर पूंजीवादी, सामंती-सांप्रदायिक शक्तियों का कब्जा है, उन्हें भी गरीबों और मेहनतकशों के खिलाफ खड़ा कर दिया गया है। इसलिए टीवी और अखबारों में आ रहे करोड़ों रुपये के अंधाधुंध विज्ञापनों के बहकावे में लोग न आएं, बल्कि धन के इस निर्लज्ज प्रदर्शन का करारा जवाब दें। आरा से माले की जीत धन की ताकत के खिलाफ जन की ताकत की जीत होगी। 
प्रचार अभियान के दौरान राजू ने कहा कि यह प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं हो रहा है, बल्कि सांसदों का चुनाव है। नीतियां तय करने में सांसदों की ही भूमिका होती है। संसद और विधानसभाओं में अगर जनपक्षीय लोग पहुंचते हैं, तो वे पूंजीपतियों और सामंती-सांप्रदायिक शक्तियों की चाकरी करने के बजाए वहां जनता की आवाज उठाते हैं। का. रामनरेश राम, का. रामेश्वर प्रसाद और का. महेंद्र सिंह जैसे माले के जनप्रतिनिधियों ने इसे साबित किया है कि संसद और विधानसभाओं के भीतर भी जनता की जोरदार लड़ाई लड़ी जा सकती है। 
राष्ट्रीय सहारा 
का. राजू यादव ने कहा कि भोजपुर की संघर्षशील और इंकलाबी जनता ही उनकी ताकत है। भोजपुर की खासियत यह है कि शासकवर्ग जो लहर पैदा करता है, हमेशा उसके खिलाफ यहां जनता की अपनी लहर चलती है। आरा से माले को जिताकर भोजपुर की जनता पूंजीवादपरस्त, सांप्रदायिक-सामंती-अवसरवादी राजनीति के विरोध में एक मजबूत जनराजनीतिक विकल्प और पूरे देश की राजनीति को एक सही रास्ता देगी, यह तय है। 

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