Friday, April 11, 2014

जबले ठगल तबले ठगल अबकी ना ठगाइब, अबकी माले जिताइब- हिरावल

हिरावल माले प्रत्याशी के प्रचार में उतरी
हिरावल के कलाकारों द्वारा निर्मित फिल्म ‘विकास का इलाज’ का भी माले के प्रचार में हो रहा है इस्तेमाल 

आरा: 10 अप्रैल 2014 
आरा से माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए संस्कृतिकर्मी भी उतर पड़े है। बिहार की चर्चित गीत-नाट्य संस्था ‘हिरावल’ के कलाकार संतोष झा, समता राय और अभिनव आरा संसदीय क्षेत्र के तमाम प्रमुख बाजार और प्रखंड मुख्यालयों पर देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर जनमानस को झकझोरने और संसद के भीतर माले जैसी जनपक्षीय जनराजनीतिक ताकत को भेजने की अपील करने वाले गीत पेश कर रहे हैं। 
राष्ट्रीय सहारा ११ अप्रैल 
इन गीतों में सांप्रदायिक उन्माद, कारपोरेटपरस्त राजनीति और राजनीतिक अवसरवाद व कुनबापरस्ती पर जोरदार प्रहार किया गया है। कलाकार तमाम सत्ताधारी पार्टियों के जनविरोधी चरित्र का पर्दाफाश कर रहे हैं। इन गीतों में एक ओर खेती, उद्योग के चैपट होने और जनता की हालत पस्त होने की सच्चाई का जिक्र किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी नेताओं के मस्त होने की विडंबना के माध्यम से जनता को उद्वेलित किया जा रहा है। सांसदों का क्षेत्र की जनता के बीच न जाने और विकास के झूठे दावे करने की प्रवृत्ति की भी आलोचना की गई है। 
लोकधुनों के अतिरिक्त कई आधुनिक धुनों का भी कलाकारों ने इस्तेमाल किया है। जबले ठगल तबले ठगल अबकी ना ठगाइब, अबकी माले जिताइब; सबनी से आस टूटल माले बस सहारा बा जैसे गीतों के जरिए कलाकार राजू यादव के लिए वोट देने की अपील कर रहे हैं। हिरावल के कलाकार कायमनगर, चांदी, संदेश, अजीमाबाद, सहार, पवना, गड़हनी, चरपोखरी, पीरो, खुटंहा मुफ्ती, हसन बाजार, अगिआंव बाजार में अपना कार्यक्रम पेश किया। कायमनगर में गायक राजू रंजन और गड़हनी में जनकवि कृष्ण कुमार निर्मोही भी उनके साथ थे। अभी ये आरा निर्वाचन क्षेत्र के अन्य इलाकों में भी कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. हिरावल की ओर से प्रचार गीतों का एक ऑडियो सीडी भी निकाला गया है, जो माले के प्रचार अभियान में बज रहा है. 
हिरावल की ओर से ‘विकास का इलाज उर्फ माले है विकल्प’ नामक एक वीडियो फिल्म का निर्माण किया गया है, जिसमें बिहार के विकास के सवाल को केंद्र में रखा गया है, जिसमें तमाम सत्ताधारी पार्टियों के प्रमुख को डाॅक्टर के बतौर दिखाया गया है, जो दावे तो बड़े-बड़े कर रहे हैं, पर बिहार के हाथों में जो ‘विकास’ नामक बच्चा है, वह अविकसित ही रह जा रहा है। फिल्म में आखिर में एक सर्जन है, जिसके दो सहयोगी हैं- एक सांप्रदायिक ताकतें और दूसरा कारपोरेट। 
वह इन्हीं दोनों सहयोगियों के कंधे पर सवार होकर बिहार की जनता को विकास का सपना दिखा रहा है। लेकिन जनता उसके बड़बोले दावों में नहीं आती, वह छात्र-नौजवान, अल्पसंख्यक, महिलाएं, मजदूर, किसान, दलित, आदिवासी जनता उस पर सवालों की बौछार कर देती है। अंत में जनता इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि माले के लाल परचम के तले वह संघर्षों के बल पर  ‘विकास’ का इलाज करेगी, अपनी समस्याओं का समाधान करेगी। इस फिल्म में राजन, रामकुमार, अभिनव, युसूफ, संतोष झा, समता राय, सुमन कुमार, कुंदन, दिव्या गौतम, सुधीर सुमन समेत कई कलाकारों ने अभिनय किया है। 
दैनिक हिंदुस्तान 
यह एक ऐसी फिल्म है, जो चुनाव अभियान के बाद भी प्रासंगिक रहेगी, क्योंकि यह विकास के राजनीतिक दावों पर बहस छेड़ती है। इस फिल्म को माले के जनाधारों में काफी पसंद किया जा रहा है। 
प्रभात खबर 
साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी और प्रबुद्ध नागरिक भी माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में गोलबंद हो रहे हैं। प्रचार के अंतिम दौर में उनकी ओर से भी अपील का एक पर्चा जारी होगा।

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