Monday, April 14, 2014

प्रो. नवल किशोर चौधरी ने माले प्रत्याशी राजू यादव को वोट देने की अपील की

महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेवार नीतियों को बदलने के लिए माले के राजू यादव को वोट दें: प्रो. नवल किशोर चौधरी 

प्रो. नवल किशोर चौधरी समेत शहर के कई जाने-माने बुद्धिजीवियों ने एक संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए
राजू यादव के समर्थन में समर्थन में उतरे प्रबुद्ध नागरिक

(इस प्रेस रिलीज और संगोष्ठी की तस्वीर को आज किसी अखबार ने नहीं छापा. आरा के पेज पर भी मोदी के विज्ञापन हैं. मुझे तो जैक लन्दन के उपन्यास 'आयरन हील" की याद आ रही है.)
आरा: 13 अप्रैल 2013 
‘समाजवाद, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता- देश के संविधान के जो मौलिक सिद्धांत हैं, वे आज खतरे में हैं। समाजवाद का मतलब पूंजीवाद नहीं हो सकता, लेकिन आज भाजपा-कांग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टियों ने पूंजीवाद को बढ़ावा देते हुए बाजार को खुली छूट दे दी है। इन पार्टियों का ढांचा बिल्कुल लोकतंत्रविरोधी है। लोजपा, राजद, द्रमुक, सपा जैसी पार्टियों के भीतर कांग्रेस जैसा परिवारवाद चल रहा है, तो नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की पार्टियों में तानाशाही कायम है।’ आज प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी ने माले प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में आयोजित आरा शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह कहा। 
प्रो. नवलकिशोर चौधरी ने कहा कि भाजपा को चलाने वाली आरएसएस न तो लोकतांत्रिक है और न ही धर्मनिरपेक्ष है। मोदी जो महंगाई घटाने का दम भर रहे हैं, वे क्या बाजार की शक्तियों को नियंत्रित कर देंगे? जब उत्पादन और रोजगार बढ़ाएंगे नहीं, तो कीमतों पर नियंत्रण कैसे करेंगे? उन्होंने जोर देकर कहा कि जो सरकार बाजार और पूंजीपतियों पर नियंत्रण नहीं कर सकती, वह समाज की असमानता और आर्थिक गैरबराबरी को भी दूर नहीं कर सकती। इनके पास भ्रष्टाचार के निंयत्रण की कोई नीति नहीं है। ये शिक्षा को बेहतर नहीं बना सकते। ये मनमोहन सिंह की ही नीतियों को बढ़ाने वाले हैं। इसलिए भाजपा-कांग्रेस की नीतियों में बदलाव के लिए आरा से जो आवाज उठी है, उसका जोरदार समर्थन किया जाना चाहिए। राजू यादव को वोट देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आरा से वे मतदाता होते, तो वे राजू यादव को ही अपना वोट देते। वे ऐसे सांसद होंगे, जिन तक जनता अपनी समस्याएं लेकर आसानी से पहुंच सकती है। 
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व डीन प्रो. रामतवक्या सिंह ने कहा कि संसद में जनता की आवाज को भेजना बहुत जरूरी है। एक जुझारू सांसद भी संसद की तस्वीर बदल सकता है। अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष राघवेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि विधायिका पूंजीवादी शक्तियों का गढ़ बन गई है, उसमें जनता का सच्चा प्रतिनिधि भेजना बेहद जरूरी है। प्रो. विश्वनाथ राय ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से सिर्फ कम्युनिष्ट ही लड़ सकते हैं। जसम के राष्ट्रीय सहसचिव कवि जितंेद्र कुमार ने कहा कि सांप्रदायिक फासीवादी राजनीति का जवाब अवसरवादी और कुनबापरस्त राजनीति नहीं हो सकती। मौकापरस्त गठबंधनों के जरिए उन्हें नहीं रोका जा सकता। उनको तो जनसंघर्ष की ताकतें ही रोक सकती हैं। 
जैन काॅलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. पारसनाथ सिंह ने विस्तार से चुनावों के इतिहास पर बोलते हुए कहा कि संविधान चलाने की जिम्मेवारी लेने वाली पार्टियां उसे लागू करने में विफल हो चुकी हैं, लेकिन निराश होने के बजाए बदलाव के लिए लड़ने वाली पार्टियों का साथ देने की जरूरत है। वीर कुंवर सिंह वि.वि. हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रवींद्रनाथ राय ने कहा कि मीडिया एक ही पार्टी के प्रचार का माध्यम बन गयी है। गुजरात के विकास के बारे में झूठे दावे प्रचारित किए जा रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए काम कर रही हैं और दोनों सांप्रदायिक धुव्रीकरण की राजनीति करती हैं। इसलिए आज जरूरत यह है कि समाज के विकास और कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर लड़ने वाली पाटियों के साथ खड़ा हुआ जाए, यही बुद्धिजीवी होने  की सार्थकता होगी। अधिवक्ता आनंद वात्सायायन ने कहा कि संसद में ऐसे व्यक्ति को भेजना जरूरी है, जो हमारी समस्याओं को जानता हो और उसके लिए लड़ सकता हो। इस कसौटी पर राजू यादव बिल्कुल खरे हैं। संगोष्ठी में फ्रेंच शोधार्थी ज्यां थाॅमस ने भी अपने विचार रखे। 
संगोष्ठी का संचालन कवि सुनील चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता अमित कुमार बंटी ने किया। इस मौके पर आइसा महासचिव अभ्युदय, रचना समेत कई छात्र-नेता, बुद्धिजीवी, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी भी मौजूद थे।
संगोष्ठी के पहले आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रो. नवलकिशोर चौधरी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भाकपा-माले ही है, जो संविधान की मूल प्रस्थापनाओं के प्रति प्रतिबद्ध है। वही है जो उन मूल्यों के लिए संघर्ष चलाती है। जिस तरह की कारपोरेटपरस्त नीतियां देश में कांग्रेस-भाजपा और उनके सहयोगी दलों के द्वारा चलाई जा रही हैं, उनके खिलाफ संघर्ष चलाने वाली एकमात्र पार्टी भाकपा-माले हैं, यही पार्टी है जो मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेवार इन नीतियों को बदलने का संघर्ष चला रही है। माले के उम्मीदवार नौजवान हैं, छात्र-नौजवानों के आंदोलनों का नेतृत्व करते रहे हैं, संसद में नीतियों को बदलने के लिए ऐसे ही उम्मीदवार को सांसद के रूप में चुना जाना चाहिए। 
आरा शहर के 71 प्रबुद्ध नागरिकों ने इसके पहले राजू यादव के पक्ष में अपील का एक पर्चा जारी किया है, अब इस संगोष्ठी से राजू यादव के समर्थन में चल रहे प्रबुद्ध नागरिकों की मुहिम को और बल मिला है। 

No comments:

Post a Comment