Wednesday, April 23, 2014

कुंवर सिंह : रमाकांत द्विवेदी रमता

देश जागेला त दुनिया में हाला हो जाला/ कंपनी का? परलामेंट के देवाला हो जाला
एह विचार के सिखवले बेवहार कुंवर सिंह/ जगदीशपुर के माटी के सिंगार कुंवर सिंह. 
हर साल 23 अप्रैल को आरा में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के  महांयोद्धा कुंवर सिंह का विजयोत्सव मनाया जाता है. दानापुर के विद्रोही सिपाहियों ने कुंवर सिंह के नेतृत्व में आरा को आजाद कराया. 7 दिन तक यहाँ आज़ाद सरकार रही. फिर लड़ाई आगे बढ़ी. दो-दो अंग्रेज लेफ्टिनेंट को जान गंवानी पड़ी. एक युद्ध छोड़ कर भाग गया.कुंवर सिंह को अंग्रेजों ने जगदीशपुर से बेदखल कर दिया, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी. कानपुर, रीवा और आजमगढ़ में कंपनी की सेना से जबरदस्त लड़ाई लड़ते हुए, विजय हासिल करते हुए उन्होंने वापस जगदीशपुर पर अधिकार किया और उसके तीन दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गई. अंग्रेजों की गोली जब उनके बांह में लगी तो उन्होंने तलवार से उसे काट दिया, इसकी चर्चा खूब होती है. 1857 को लेकर विद्वानों में बड़ी बहसें हैं. लेकिन जो लोग आज भी साम्राज्यवाद के खिलाफ भारतीय जनता की एकता, खासकर हिंदू-मुस्लिम एकता के हिमायती हैं. जो गांव नगर फैल रहे कंपनियों के जाल से देश को आजाद कराने की लड़ाई लड़ते रहे हैं,  जो कंपनियों का हित साधने वाली पार्लियामेंट के खिलाफ देश को जगाने के लिए संघर्ष चला रहे हैं, वे कुंवर सिंह के संघर्ष को किस तरह देखते हैं, इसे रमता जी की इस मशहूर रचना के जरिए समझा जा सकता है. सामंती-साम्प्रदायिक ताकतों  द्वारा कुंवर सिंह को अपना नायक बनाने की साजिशों का प्रतिवाद भी है यह गीत. कारपोरेटपरस्त-साम्राज्यपरस्त राजनीति के खिलाफ, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ जनता की आज की लड़ाइयों के सन्दर्भ में किसानों के फौजी बेटों द्वारा शुरू उस विद्रोह, जो शीघ्र ही जनविद्रोह बन गया, को आइए याद करें. कुंवर सिंह के संघर्ष ने क्रांतिकारी-वामपंथी-जनकवि रमता जी को व्यवहार के धरातल पर किन विचारों को सिखाया, आइए इस पर विचार करें.

कुंवर सिंह


झांझर भारत के नइया खेवनहार कुंवर सिंह
आजादी के सपना के सिरिजनहार कुंवर सिंह

इतिहास के होला सांपे लेखा टेढ़टाढ़ चाल
कभी सूतेला निहाल, कभी उठेला बेहाल
बढ़ल आपस के फूट, देश हो गइल पैमाल
गांवे-नगरे फएल गइल कंपनी के जाल

मने-मने करत रहन सब विचार कुंवर सिंह
अपना देश खातिर पोसत रहन प्यार कुंवर सिंह

देखत-देखत ढाका-काशी के उजार हो गइल
लंकाशायर-मैनचेस्टर के सुतार हो गइल
अने-धने  भरल-पुरल, से भिखार हो गइल
भूखड़ टापू इंगलैंड गुलजार हो गइल

चुपे चुपे होत रहन तइयार कुंवर सिंह
खीसी जरत रहन एंड़ी से कपार कुंवर सिंह

जब अनमोल कलाकार के अंगूठा कटाई
आ, बलाते जब सोहागिनी के जेवर छिनाई
दिने दूपहर सड़क पर जबकि इज्जत लुटाई
अइसन के होइ, करेजा जेकर फाट ना जाई

आंख फार के देखले लूट-मार कुंवर सिंह
कान पात के सुनले हाहाकार कुंवर सिंह

भारत माता के अचक्के में पुकार हो गइल
खीस दबल रहे भीतर से उघार हो गइल
बाढ़ आइल अइसन जोश के, दहार हो गइल
बात बढ़त-बढ़त आखिर में जूझार हो गइल

देशी फउज के बनले सरदार कुंवर सिंह
अपना देश के भइले रखवार कुंवर सिंह

रहे मोछ ना, उ बरछी के नोक रहे रे
तरूआरे अइसन तेगा अइसन चोख रहे रे
कसल सोटा अइसन देह, मन शोख रहे रे
अइसन वीर जनमावल, धनी कोख रहे रे

ओह बुढ़ारी में जवानी के उभार कुंवर सिंह
अलबेला रे बछेड़ा असवार कुंवर सिंह
गइल जिनिगी अनेर, जब निशानी ना रहल
सवंसार के जवान प’ कहानी ना रहल
जिअल-मुअल दूनों एक, जब बदानी ना रहल
छिया-छिया रे जवानी, जबकि पानी ना रहल

हुंहुंकार के सुनवले ललकार कुंवर सिंह
रने वन मचवले धुआंधार कुंवर सिंह

होश बड़े-बड़े वीर के ठेकाने ना रहल
तोप, गोला के, बनूक के कवनो माने ना रहल
केकरो हाथ, गोड़, नाक, केकरो काने ना रहल
लागल एको झापड़, ओकरा तराने ना रहल

छपाछप फेरसु चारो ओर दुधार कुंवर सिंह
नीचे खून के बहवले पवनार कुंवर सिंह

होला ईंट के उत्तर पत्थर से देवे के जबाना
कस के दुशमन से बदला लेवे के जबाना
कभी छिप के, कभी परगट लड़े के जबाना
कभी हटे के, आ, कबहीं बढ़े के जबाना

रहन अइसन फन में खूबे हुंसियार कुंवर सिंह
राते रात करस अस्सी कोश ले पार कुंवर सिंह
अधिकार पा के मुरुख मतवाला हो जाला
रउआ कतनो मनाई, सुर्तवाला हो जाला
देश जागेला त दुनिया में हाला हो जाला
कंपनी का? परलामेंट के देवाला हो जाला

एह विचार के सिखवले बेवहार कुंवर सिंह
जगदीशपुर के माटी के सिंगार कुंवर सिंह

खांव गेहूं चाहे रहे एहूं दूनों सांझे पेट
दान मुटठी खोल के होय, चाहे खाली रहे टेंट
बांह देश के उधारे, चाहे गंगाजी के भेंट
मान कायम रहे, जीवन लीला ले समेट

अस्सी बरिस के भोजपुरी चमत्कार कुंवर सिंह
लक्ष्मीबाई-तंतिया-नाना के इयार कुंवर सिंह
                       23. 4. 55

Tuesday, April 22, 2014

शायर और साक्षरताकर्मी फराज नजर ‘चांद’ को जसम की श्रद्धांजलि


जन संस्कृति मंच 

20 अप्रैल 2014

दैनिक आज 
दैनिक हिंदुस्तान 
शायर फराज नजर ‘चांद’ का निधन भोजपुर की प्रगतिशील-जनवादी साहित्यिक-सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। फराज नजर चांद अपने कम्युनिस्ट पिता का. रफीक के जीवन मूल्यों के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रहे। आम अवाम की तरह ही अभाव, मुश्किलों और संघर्षों में उनका जीवन गुजरा। एक बेहतर दुनिया और व्यवस्था के निर्माण के सपनों के प्रति उनकी आस्था कभी खत्म नहीं हुई। उसी के तसव्वुर के साथ वे अपनी गजलें लिखते रहे। भोजपुर के साक्षरता अभियान में उन्होंने बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाई। फराज नजर ‘चांद’ हमारी गंगा जमुनी तहजीब के नुमाइंदे थे। उनका निधन आरा शहर में सांप्रदायिक सौहार्द के प्रति समर्पित तमाम लोगों के लिए भी एक बड़ी क्षति है।
फराज नजर ‘चांद’ की शायरी तो उनकी याद दिलाएगी ही, अपनी सरलता और सादगी के लिए भी वे हमेशा याद आएंगे। उनकी शख्सियत साधारण जनता की तरह ही सहज, सरल और जीवटता से भरपूर थी। साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता को वे  सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का बहुत ताकतवर जरिया समझते थे और वामपंथी आंदोलन से यह उम्मीद करते थे कि वह इसे ज्यादा मजबूत बनाए। उन्हें जब भी मौका मिला, तो नियमित रूप से अखबारों के लिए भी लेखन कार्य किया। हाल के दिनों में उन पर फालिज का आघात हुआ था और वे कोमा में चले गए थे। 
फराज नजर ‘चांद’ भाकपा और प्रलेस से जुड़े हुए थे। उनको जन संस्कृति मंच अपने एक ऐसे दोस्त लेखक के रूप में याद करता है, जिन्होंने अपनी रचनात्मक ऊर्जा के साथ ही साथ हमेशा अपने बहुमूल्य सुझावों से भी संगठन को समृद्ध किया। जनकवि भोला, जब तक जीवित थे, तब तक उनकी पान की दूकान पर अक्सर शाम में फराज साहब मिल जाते थे। आंखों में एक आत्मीय चमक और होठों पर प्यारी मुस्कान वाले फराज नजर ‘चांद’ बहुत याद आएंगे। खासकर जनकवि गोरख पांडेय की स्मृति में आरा हर साल आयोजित होने वाले नुक्कड़ काव्य गोष्ठी ‘कउड़ा’ में उनकी कमी बहुत खलेगी। वे हर आयोजन में शामिल होते थे, लेकिन ‘कउड़ा’ में खास तौर पर अपनी गजल के साथ मौजूद रहते थे। 
फराज नजर ‘चांद’ के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जाहिर करते हुए हम जन संस्कृति मंच की ओर से उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि देते है। वे हमेशा हमारी स्मृतियों में रहेंगे। 
श्रद्धांजलि देने वालों  में जसम के राज्य अध्यक्ष रामनिहाल गुुंजन, कथाकार मधुकर सिंह, जनपथ के संपादक अनंत कुमार सिंह, कवि-आलोचक जितेद्र कुमार, कथाकार सुरेश कांटक, रंगकर्मी डाॅ. विंद्येश्वरी, सुधीर सुमन, कवि ओमप्रकाश मिश्र, कवि सुनील श्रीवास्तव, कवि सुमन कुमार सिंह, संस्कृतिकर्मी शमशाद प्रेम, चित्रकार राकेश दिवाकर, कवि सुनील चैधरी, आशुतोष पांडेय, रंगकर्मी अरुण प्रसाद, गायक राजू रंजन, रंगकर्मी अमित मेहता आदि प्रमुख हैं। 

Wednesday, April 16, 2014

प्रचार के अंतिम दिन माले ने अनेक गांवों में प्रचार जुलूस निकाला











दैनिक आज 
आरा में नौजवानों ने निकाला जुलूस
आरा के प्रबुद्ध नागरिकों ने की राजू यादव को विजयी बनाने की अपील 
आरा: 15 अप्रैल 2014
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आज भाकपा-माले कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने आरा संसदीय क्षेत्र के सैकड़ों गांवों और पंचायतों में अपने प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में झंडा-बैनर के साथ जुलूस निकाला और लोगों से भारी संख्या में निर्भीकता के साथ मतदान करने की अपील की। माले ने भाजपा के उम्मीदवार आरके सिंह द्वारा खुफिया विभाग और प्रशासन के साथ रिश्ते का गरीब व कमजोर वर्ग के मतदाताओं के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने की आशंकाओं से भी अपने आधार को सचेत किया है और उन तक संदेश पहुंचाया है कि वे भाजपाई साजिश के खिलाफ भारी पैमाने पर मतदान करें और अपनी राजनैतिक दावेदारी को सुनिश्चित करें। 
आज माले प्रत्याशी राजू यादव ने आरा कोर्ट में अधिवक्ताओं के बीच प्रचार अभियान चलाया। उनके साथ प्रोग्रेसिव एडवोकेट एसोसिएशन के अमित कुमार बंटी के अलावा दर्जनों अधिवक्ता प्रचार में शामिल थे। 
आरा शहर के मुख्य मार्गों पर आइसा महासचिव अभ्युदय, इनौस के उपाध्यक्ष असलम, माले नगर सचिव दिलराज प्रीतम, आइसा राज्य सचिव अजित कुशवाहा, सत्यदेव, रचना आदि के नेतृत्व में सैकड़ों युवाओं ने लाल झंडों और राजू यादव के समर्थन में बनाए गए बैनरों के साथ जोशीला जुलूस निकाला। छात्र-नौजवानों, किसान-मजदूरों, महिलाओं ने ललकारा है, आरा सीट हमारा है, आरा का सांसद कैसा हो
राष्ट्रीय सहारा 
यह भाजपा का मुखपत्र चुका अखबार जागरण है, जिसमें एक वाक्य की खबर है 
, राजू यादव जैसा हो आदि नारे लगे। माले के सारे कार्यकर्ता गांवों-मुहल्लों में जनता के बीच पैठ गए हैं। मतदाताओं को प्रलोभन देने वाले और उन पर दबाव बनाने वालों पर भी उनकी नजर रहेगी। गरीब-मेहनतकश-कमजोर वर्ग के लोग आजादी से अपना मतदान कर सकें, यह माले की कोशिश है।
आरा के 71 प्रबुद्ध नागरिकों ने भी राजू यादव को वोट देने की अपील की है। अपील करने वालों में कथाकार मधुकर सिंह, डाॅ. सुनीति प्रसाद, डाॅ. यूके चैधरी, प्रो. रामतवक्या सिंह, प्रो. वीरेंद्र कुमार सिंह,  प्रो. तुंगनाथ चैधरी, प्रो. अनुज रजक, प्रो. नजीर अख्तर,आलोचक रामनिहाल गुंजन, कथाकार अनंत कुमार सिंह, सुरेश कांटक, कवि जितेंद्र कुमार, बलभद्र, पत्रकार राजू नीरा, कवि सुनील श्रीवास्तव, सुनील चैधरी, आशुतोष पांडेय, जनमत के संपादक सुधीर सुमन, कवि सुमन कुमार सिंह, रंगकर्मी संजय कुमार पाल, राजू रंजन, अधिवक्ता सुरेंद्र प्रसाद भट्ट, कामेश्वर यादव, बबन यादव, राजेंद्र यादव, सुशील कुमार पंडित, ज्योति कलश, अमित कुमार बंटी, निर्मल राम, विमल यादव, ललन यादव, कामता यादव, आनंद वात्सयायन, संजय कुशवाहा, जनकवि कृष्ण कुमार निर्माेही, रंगकर्मी धनंजय, चित्रकार कमलेश कुंदन, राकेश दिवाकर, संजीव सिन्हा और मूर्तिकार ओमप्रकाश शामिल हैं। इस अपील के दस हजार पर्चे जनता के बीच वितरित किए गए हैं। 


मतदान का समय घटाना एक राजनीतिक साजिश है: का. कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा-माले



मतदान का समय घटाने का निर्णय वापस लेने की मांग की माले ने
भाजपा के इशारे पर जिला प्रशासन ने गरीबों को मतदान से वंचित करने की साजिश की है: का. कुणाल

आरा: 15 अप्रैल 2014
जिला प्रशासन की अनुशंसा पर आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन यहां के दो विधानसभाओं- अगिआंव विधानसभा और तरारी विधानसभा क्षेत्र में मतदान का समय दो घंटा कम किए जाने को भाकपा-माले के राज्य सचिव का. कुणाल ने गरीब मतदाताओं को मतदान से वंचित करने की भाजपाई साजिश करार दिया है। का. कुणाल ने कहा है कि यह निर्णय घोर आश्चर्यजनक और लोकतंत्रविरोधी है। तरारी और अगिआंव की जनता भारी संख्या में मतदान करके इस साजिश का करारा जवाब देगी। 
का. कुणाल ने कहा है कि माले प्रत्याशी के चुनाव अभिकर्ता ने यहां के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी से इसके संदर्भ में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें क्षेत्र के बारे में जानकारी नहीं है, उन्हें किसी ने बताया कि ये क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित हैं, इसलिए यहां मतदान का समय दो घंटा कम करने की अनुशंसा की गई। सवाल यह है कि अगर उन्हें इस क्षेत्र की जानकारी नहीं थी, तो उन्होंने पार्टियों के साथ इसके संदर्भ में बैठक क्यों नहीं की? यह बड़ी आबादी को मतदान से वंचित करने की राजनैतिक साजिश है। भोजपुर जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग को भी गुमराह करने का काम किया है।
दैनिक हिंदुस्तान १६ अप्रैल 
का. कुणाल ने बताया है कि इस मामले में केन्द्रीय चुनाव आयोग और बिहार के मुख्य चुनाव पदाधिकारी के पास विरोध पत्र भेजा गया है और आरा आरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक को भी इससे अवगत कराया गया है कि अगिआंव और तरारी विधानसभा क्षेत्र में कभी मतदान प्रक्रिया को बाधित करने की कोई घटना नहीं घटी है, कभी भी यहां मतदान कराने गए अधिकारियों या कर्मचारियों पर कोई हमला नहीं हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में अगिआंव विधानसभा से भाजपा तथा तरारी विधानसभा से जद-यू के विधायक चुने गए हैं। फिर किस आधार पर इन विधानसभाओं को उग्रवाद प्रभावित बताकर मतदान का समय कम किया गया? क्या इन दोनों विधानसभाओं में प्रशासन सभी लोगों का मतदान सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त पोलिंग बूथों की व्यवस्था करेगा?
का. कुणाल ने कहा कि इन दोनों  विधानसभाओं में सामंती ताकतें गरीबों को वोट देने नहीं देती थीं। गरीबों ने लड़कर और शहादतें देकर यह अधिकार हासिल किया। अब सामंती ताकतें उन्हें वोट देने से रोक नहीं पा रही हैं, तो प्रशासन के जरिए रोकने की कोशिश कर रही हैं। जैसा कि सबको पता है कि भाजपा उम्मीदवार आर.के सिंह केंद्रीय गृह सचिव थे। लिहाजा नौकरशाही और खुफिया तंत्र से इनके गहरे रिश्ते हैं। उन्होंने इसी प्रभाव का इस्तेमाल करके गरीबों को वोट से वंचित करने की साजिश रची है।  
का. कुणाल ने कहा है कि एक ओर निर्वाचन आयोग के जरिए अधिक से अधिक लोगों के मतदान के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर दो विधानसभाओं में मतदान का समय कम करके अनेक मतदाताओं को मतदान से वंचित करने की कोशिश की जा रही है। यह तो निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की चुनाव आयोग की भावना का ही मजाक उड़ाने के समान है। यह पूरे भोजपुर के लिए भी भेदभावपूर्ण कार्रवाई है। 
का. कुणाल ने बताया कि माले ने केद्रीय निर्वाचन आयोग से अगिआंव और तरारी में मतदान का समय दो घंटा कम करने के निर्देश को वापस लेने की मांग की है। 

देश पर तानाशाही थोपने की साजिशों के खिलाफ भोजपुर लड़ाई का रास्ता दिखाएगा : का. दीपंकर

आरा में का. दीपंकर 
उम्र नहीं, बल्कि अपने समय के संकटों से लड़ने की हिम्मत और इच्छाशक्ति असल चीज़ है : का. दीपंकर भट्टाचार्य 
माले प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में का. दीपंकर की सभाएं 

आरा/गड़हनी/ अगिआंव बाजार/ तरारी
14 अप्रैल 2014
‘भोजपुर ने इतिहास के हर मोड़ पर रास्ता दिखाया है, इस वक्त मोदी के नेतृत्व में सामंती-सांप्रदायिक उन्माद और कारपोरेट लूट की ताकतें देश पर तानाशाही थोपने की जो साजिशें रच रही हैं, उसके खिलाफ भोजपुर ही फिर रास्ता दिखाएगा।’ भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज तरारी, अगिआंव बाजार, गड़हनी और आरा में माले प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में आयोजित चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए यह कहा। 
सहारा 
यह दैनिक हिंदुस्तान की कतरन है,
जो अपने को बिहार का नंबर-1
अखबार कहता है. 14 अप्रैल को चार जगह सभाएं हुईं,
जिसकी यह छोटी सी खबर है. फोटो नहीं छापा गया
का. दीपंकर ने कहा कि भाजपा-कांग्रेस की नीतियां इस देश के किसान-मजदूरों, छोटे दूकानदारों, आदिवासियों, महिलाओं, छात्र-नौजवानों सबके खिलाफ हैं। ये विकास के नाम पर विनाश में लगे हुए हैं। इस देश में जिंदा रहने के लिए नीतियों को बदलने की मजबूत लड़ाई लड़नी होगी, विकास की दिशा को गरीबों की ओर मोड़ना होगा। उन्होंने नीतीश कुमार पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वे जनता से मेहनताना मांगते फिर रहे हैं, लेकिन उन्हें तो सड़क में गड्डों, फर्जी बिजली बिल, राशन-किरासन, मनरेगा घोटाला आदि के लिए जुर्माना भरना चाहिए। 
आरा सभा में माले प्रत्याशी राजू यादव 
का. दीपंकर ने विरोधी उम्मीदवारों के अनुभवी होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोग बताते हैं कि अस्सी के दशक में भाजपा उम्मीदवार जब पटना के डीएम थे, तो उन्होंने आंदोलनकारी छात्रों पर जबर्दस्त लाठीचार्ज करवाया था। जब वे गृहसचिव रहे, तो जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कानून व्यवस्था को सुधारने के बजाए राजनीतिक साजिश के तहत निर्दोष नौजवानों को फर्जी मुकदमों में फंसाया गया। यहां तक कि जब अफजल को फांसी दी गई, तो इन्होंने अफजल के परिवार वालों को सूचना तक नहीं दी, जबकि अंग्रजों के शासन में भी इस हद तक संवेदनहीनता नहीं बरती जाती थी। 
जद-यू की उम्मीदवार बारे में उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में वे क्षेत्र में गई ही नहीं, यही उनका अनुभव है। राजद उम्मीदवार के बारे में कहा कि लाल झंडा और जनता के आंदोलनों से गद्दारी करके वे राजद में गए, जब राजद को गर्दिश में देखा, तो वहां से जद-यू में चले गए, अब फिर राजद में लौटे हैं, लोगों का यही कहना है कि अब एक पार्टी भाजपा उनके लिए बची है, इनका कोई भरोसा नहीं है। कुर्सी के दलबदल का यह अनुभव भोजपुर की जनता के किस काम आएगा? 
आरा में चुनावी सभा 
का. दीपंकर ने कहा कि उम्र कोई मायने नहीं रखता, असल चीज है कि अपने समय के संकट से लड़ने की हिम्मत, ताकत और इच्छा शक्ति है या नहीं। यह भगत सिंह का मुल्क है, जिन्होंने इस देश की आजादी और जनता के राष्ट्र-निर्माण का सही रास्ता दिखाया और जो मात्र 23 साल में शहीद हो गए, जो हमारे राष्ट्रनायक हैं। जरूरत पड़ी तो इसी भोजपुर के कुंवर सिंह ने 80 साल की उम्र में भी अंगरेजों के खिलाफ आजादी की जंग छेड़ दी थी। यहीं 1942 मेें लसाढ़ी के किसानों ने आजादी के लिए लड़ते हुए शहादत दी थी, जिस गौरवशाली इतिहास को याद रखने के लिए का. रामनरेश राम ने विधायक बनने के बाद उन शहीदों का स्मारक बनवाया। आजादी के बाद भी जब दलितों-पिछड़ो, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और गरीबों का उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिला, तब का. जगदीश मास्टर, रामेश्वर यादव और रामनरेश राम ने सामंती धाक के खिलाफ लड़ाई शुरू की। फिर अस्सी के दशक में गरीबों के वोट के अधिकार के लिए जबर्दस्त लड़ाई भी इसी भोजपुर में हुई, जिसे रोकने के लिए सामंती ताकतों ने जनसंहार किए, पर लोगों ने वोट देने के अधिकार को हासिल किया। 90 के दशक में जब गरीबों की राजनीतिक दावेदारी को रोकने के लिए जनसंहारों का सिलसिला शुरू कर दिया गया, तब भी भोजपुर की संघर्षशील चेतना को कुचलना संभव नहीं हुआ। माले प्रत्याशी राजू यादव भोजपुर की इसी संघर्षशील चेतना और परंपरा के नुमाइंदे हैं। 
आरा सभा में वक्तागण
अंबेडकर जयंती के मौके पर आज उनको याद करते हुए का. दीपंकर ने कहा कि उन्होंने जो संविधान बनाया, वह संविधान और लोकतंत्र खतरे में है। भाजपा एक ओर अडानी, अंबानी, जिंदल, मित्तल, पोस्को जैसी देशी-विदेशी पूंजीपतियों और कंपनियों को  किसानों की खेती की जमीन, खनिज, तेल, गैस, जल, जंगल लूटने की छूट के लिए सरकार बनाना चाहती है, तो दूसरी ओर ये दंगाई ताकतें देश को बांटने में लगी हुई हैं। भाजपा ऐसी सरकार बनाना चाहती हैं, जहां किसान-मजदूरों के बजाए पूंजीपतियों की बात सुनी जाएगी। इस देश में आरएसएस, अंबानी-अडानी, अमेरिका का मोर्चा बना है। माले ने इस मोर्चे के खिलाफ किसान-मजदूरों, नौजवानों, मां-बहनों, गरीबों, तरक्कीपसंद, लोकतंत्र पसंद और इंसाफ में आस्था रखने वाले लोगों का मोर्चा बनाया है, आरा में यह मोर्चा भाजपा के खूनी मोर्चे पर भारी पड़ेगा। 
उन्होंने कहा कि भाजपा पूरे देश में साजिशें रच रही है। 23 मार्च की सुबह भगतसिंह की शहादत दिवस पर का. बुधराम पासवान का शव मिलने से पूरे भोजपुर में सन्नाटा था, उस रोज माले को अपने उम्मीदवार का नामांकन स्थगित करना पड़ा, लेकिन उसी रोज भाजपा का नामांकन हुआ। उन्होंने कहा कि साजिश सिर्फ माले के साथ ही नहीं हो रही, बल्कि एक दिन पहले पीरो में नौजवान कोचिंग संचालक अकबर खां की भी हत्या हुई। एक ओर गरीबों के मान-सम्मान व हक-अधिकार के लिए लड़ने वाले बुधराम पासवान थे, तो दूसरी ओर गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने और लड़कियों के साथ होने वाले छेड़छाड़ का विरोध करने वाले लोकप्रिय शिक्षक अकबर खान। दोनों राजनीतिक साजिशों के शिकार हुए। ऐसी ही अनेक साजिशों का नाम भाजपा और मोदी है। 
सभाओं को पूर्व सांसद रामअवधेश सिंह, माले केंद्रीय कमेटी सदस्य कृष्णदेव यादव, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, माले प्रत्याशी राजू यादव ने भी संबोधित किया। तरारी में सभा की अध्यक्षता खेमस के जिला सचिव का. कामताप्रसाद सिंह और अगिआंव बाजार मे अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव का. चंद्रदीप सिंह ने की। गड़हनी में का. रघुवर पासवान और आरा में दिलराज प्रीतम ने सभा का संचालन किया। 

जेल में हत्या की योजना बनना प्रशासनिक विफलता है: माले

यह बयान सिर्फ दैनिक आज में छप पाया.
एसपी के बयान से जनता की असुरक्षा बढ़ेगी: का. कुणाल 
अगर एसपी के पास सुराग है, तो वे असली हत्यारे को पकड़ें: का. कुणाल

आरा: 14 अप्रैल 2014 
भाकपा-माले के राज्य सचिव का. कुणाल ने का. बुधराम पासवान की हत्या के मामले में भोजपुर एसपी के खुलासे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर जेल के भीतर भी हत्या की योजना बनाने की गुंजाइश होती है, तो यह बड़ी प्रशासनिक विफलता है। जैसा कि भाकपा-माले ने पहले ही कहा था कि का. बुधराम पासवान की हत्या एक राजनैतिक साजिश के तहत की गई है और इसमंे सांमती-सांप्रदायिक-अपराधी ताकतों का हाथ है, तो जहां से अपराधियों के पकड़े जाने की बात की जा रही है, उसी भैरोडिह गांव मेें बुधराम पासवान की हत्या के बाद रात मेें और सुबह में फायरिंग की गई थी। बयानबाजी के बजाए अगर प्रशासन के पास हत्या के मामले में कोई सुराग है, तो असली हत्यारे को पकड़े। जो अपराधी पकड़े गए हैं, उनके रणवीर सेना के साथ भी रिश्ते रहे हैं। इसके पहले रामनाथ राम की हत्या के मामले में इनके साथ मुन्ना राय नाम का रणवीर सेना का एक अपराधी भी नामजद है। 
का. कुणाल ने कहा है कि अभी तक पीरो के नौजवान कोचिंग संचालक अकबर खां के हत्यारे भी पकड़े नहीं गए हैं। एसपी ने जो बयान दिया है, उससे जनता में असुरक्षा बढ़ेगी। लोग यही समझेंगे कि अपराधियों के पकड़े और न पकड़े जाने का कोई मतलब ही नहीं है, वे जेल में बैठकर भी अपराध को अंजाम दे सकते हैं। खासकर चुनाव के समय तो इस तरह की बयानबाजी बिल्कुल उचित नहीं है, क्योंकि इससे लोगों में असुरक्षा और भय बढ़ेगा। 

Monday, April 14, 2014

राजू यादव को वोट देने से जनता की ताकत बढ़ेगी : का. दीपंकर

माले को दिया गया, एक-एक वोट जनता की जिंदगी की बेहतरी के लिए काम आएगा: का. दीपंकर भट्टाचार्य 
राजू यादव के समर्थन में माले महासचिव के सभाएं  


जोकटा/ अगिआंव/ उदवंतनगर/ बीबीगंज

जोकटा (सन्देश) में चुनावी सभा में का. दीपंकर 
राष्ट्रीय सहारा 
भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने 13 अप्रैल 2014 जोकटा, अगिआंव, उदवंतनगर और बीबीगंज में विशाल चुनावी जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जनता के बुनियादी मुद्दों पर माले चुनाव लड़ रही है। माले का सांसद संसद में जाकर उन्हीं मुद्दों पर नीतियां बनाने के लिए संघर्ष करेंगे। माले को दिया गया, एक-एक वोट जनता की जिंदगी की बेहतरी के लिए काम आएगा। 
दैनिक हिंदुस्तान 
प्रभात खबर 
का. दीपंकर ने कहा कि मोदी को सामने करके एक ओर दंगाई-सांप्रदायिक ताकतें सत्ता हथियाना चाहती हैं, तो दूसरी ओर इन्हीं ताकतों के बल पर अंबानी, अडानी, जिंदल, मित्तल, पोस्को जैसे देशी-विदेशी पूंजीपति किसानों की खेती की जमीन, खनिज, तेल, गैस, जल, जंगल को हड़प लेना चाहते हैं। यह आरएसएस, अंबानी-अडानी आदि का मोर्चा है, जिसे अमरीका का आशीर्वाद प्राप्त है। माले ने इस मोर्चे के खिलाफ किसान-मजदूरों, नौजवानों, महिलाओं और गरीबों का मोर्चा बनाया है, आरा में यह मोर्चा भाजपा के खूनी मोर्चे पर भारी पड़ेगा। राजू यादव के रूप में इंसाफ, बराबरी, विकास और मान-सम्मान की आवाज संसद में पहुंचेगी। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले साल बिहार में हुंकार रैली और उसके बाद बम विस्फोट में मारे गए लोगों की अस्थियां घुमाने के जरिए सामंती-शक्तियों ने यहां के समाज को विभाजित करने की कोशिश की, पर किसानों, मजदूरों, गरीबों, नौजवानों, महिलाओं और लोकतंत्रपसंद लोगों के मोर्चे के बल पर ही माले ने सारे आतंक को तोड़ते हुए खबरदार रैली की और इनके मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। 
भाजपा पर कटाक्ष करते हुए का. दीपंकर ने कहा कि यह एमपी का चुनाव हो रहा है, पर भाजपा ने इसे उलट कर पीएम का चुनाव बना दिया है। अभी जनता ने वोट भी नहीं दिया और भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री बना दिया है, यह जनता का अपमान है। अभी तो सांसद चुनके आएंगे, उनमें जिसका बहुमत होगा वह प्रधानमंत्री बनाएगा, अगर बहुमत नहीं होगा तो गठबंधन बनेंगे और तब कोई प्रधानमंत्री बनेगा। इतना तय है कि राजू यादव संसद में पहुंचेंगे तो वे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनाए जाने के खिलाफ खड़े होंगे। वे सामाजिक न्याय, सबके विकास, महिलाओं की आजादी, छात्र-नौजवानों के लिए शिक्षा-रोजगार के लिए लड़ेंगे, जनता के जुझारू सिपाही के रूप में वे काम करेंगे। उनको वोट देने से जनता की खुद की ताकत बढ़ेगी। 
जोकटा की सभा में माले प्रत्याशी का. राजू यादव 
का. दीपंकर ने कहा कि जो लोग माले उम्मीदवार की उम्र और अनुभव पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें याद नहीं है कि यह भगत सिंह का मुल्क है, जिन्होंने इस देश की आजादी और जनता के राष्ट्र-निर्माण का सही रास्ता दिखाया और जो मात्र 23 साल में शहीद हो गए, जो हमारे राष्ट्रनायक हैं। उम्र और अनुभव से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि जनता पर जो संकट है, उससे लड़ने की हिम्मत है या नहीं। का. दीपंकर ने भाजपा उम्मीदवार पर हमला करते हुए कहा कि लोगों का कहना है कि वे जब पटना के डीएम थे, तो छात्रों के आंदोलन पर लाठियां चलाने का उनका अनुभव रहा है, वे जब गृहसचिव रहे, तो जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाए अपराधियों, माफियाओं, सांप्रदायिक ताकतों को छूट देने का काम किया, यही उनका अनुभव है। जद-यू की उम्मीदवार का अनुभव यह है कि पिछले पांच साल में वे क्षेत्र में गई ही नहीं। उन्होंने सवाल किया कि राजद के उम्मीदवार का पच्चीस सालों का जो अनुभव है, वह किस काम आएगा? लाल झंडा और जनता के आंदोलनों से गद्दारी करके वे राजद में गए, जब राजद को गर्दिश में देखा, तो वहां से जद-यू में चले गए, अब फिर राजद में लौटे हैं, अब एक पार्टी भाजपा उनके लिए बची है, लोगों का यही कहना है कि इनका कोई भरोसा नहीं है। 
का. दीपंकर ने उपेंद्र कुशवाहा, रामविलास पासवान पर यह आरोप लगाया कि इन लोगों ने भाजपा के खूनी चेहरे के लिए पर्दे का काम किया है। सत्रह साल तक यही काम नीतीश कुमार ने किया, इनका साथ देकर पूरे समाज को बांटा और गरीबों का वोट इन गरीब विरोधी सामंती-सांप्रदायिक उन्माद की ताकतों की झोली में डाल दिया। इसी कारण उन्हें पूरे बिहार में गरीबों का जबर्दस्त गुस्सा झेलना पड़ रहा है। 
का. राजाराम सिंह 
दैनिक जागरण 
दैनिक आज 
सभाओं में केंद्रीय कमेटी सदस्य का. केडी यादव ने कहा कि जगदीश मास्टर, रामेश्वर यादव और रामनरेश राम ने गरीबों की जिस राजनैतिक दावेदारी के लिए जो बेमिसाल संघर्ष किया, राजू यादव उसी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले हैं। अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. राजाराम सिंह ने कहा कि आज खेत, खेती और किसान पर जो संकट है, जैसी महंगाई और बेरोजगारी है, उसके लिए जो नीतियां जिम्मेवार हैं, उनको बनाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों दोषी हैं। इसलिए अगर संकट से निजात पाना है, तो एकमात्र उपाय यही है कि जनता उनको चुने जो संसद में नीतियों को बदलने के लिए संघर्ष करें। राजू यादव यही काम करेंगे। माले प्रत्याशी राजू यादव ने कहा कि अब तक वे जनता के जिन सवालों पर लड़ते रहे हैं, उन्हीं सवालों पर संसद के भीतर जोरदार संघर्ष चलाएंगे। भोजपुर के चैतरफा विकास के लिए ईमानदारी से काम करेंगे। सोन नहर के आधुनिकीकरण, सिंचाई, मनरेगा आदि योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने  के साथ वे इस इलाके में मेडिकल काॅलेज और इंजीनियरिंग काॅलेज के निर्माण, महिलाओं की सुरक्षा, बेरोजगारी भत्ता आदि के लिए सांसद के तौर पर कोशिश करेंगे। 
जोकटा में सभा का संचालन माले के संदेश प्रखंड सचिव का. परशुराम सिंह ने किया तथा ललन यादव, विनोद यादव, आजाद यादव, भगीरथ यादव, जीतन चैधरी, विनोद यादव आदि ने भी लोगों को संबोधित किया।
अगिआंव में सभा की अध्यक्षता विमल यादव ने की और मुख्य वक्ताओं के अलावा इनौस के अध्यक्ष रवि राय और माले जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। उदवंतनगर में सभा की अध्यक्षता का. दीपा सिंह ने की और संचालन राजेश्वर राम ने किया। बीबीगंज में सभा की अध्यक्षता श्रवण पासवान ने की तथा संचालन अभय सिंह ने किया। सभा को का. सुदामा प्रसाद और का. क्यामुद्दीन ने भी संबोधित किया। 

प्रो. नवल किशोर चौधरी ने माले प्रत्याशी राजू यादव को वोट देने की अपील की

महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेवार नीतियों को बदलने के लिए माले के राजू यादव को वोट दें: प्रो. नवल किशोर चौधरी 

प्रो. नवल किशोर चौधरी समेत शहर के कई जाने-माने बुद्धिजीवियों ने एक संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए
राजू यादव के समर्थन में समर्थन में उतरे प्रबुद्ध नागरिक

(इस प्रेस रिलीज और संगोष्ठी की तस्वीर को आज किसी अखबार ने नहीं छापा. आरा के पेज पर भी मोदी के विज्ञापन हैं. मुझे तो जैक लन्दन के उपन्यास 'आयरन हील" की याद आ रही है.)
आरा: 13 अप्रैल 2013 
‘समाजवाद, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता- देश के संविधान के जो मौलिक सिद्धांत हैं, वे आज खतरे में हैं। समाजवाद का मतलब पूंजीवाद नहीं हो सकता, लेकिन आज भाजपा-कांग्रेस और उनकी सहयोगी पार्टियों ने पूंजीवाद को बढ़ावा देते हुए बाजार को खुली छूट दे दी है। इन पार्टियों का ढांचा बिल्कुल लोकतंत्रविरोधी है। लोजपा, राजद, द्रमुक, सपा जैसी पार्टियों के भीतर कांग्रेस जैसा परिवारवाद चल रहा है, तो नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की पार्टियों में तानाशाही कायम है।’ आज प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी ने माले प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में आयोजित आरा शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह कहा। 
प्रो. नवलकिशोर चौधरी ने कहा कि भाजपा को चलाने वाली आरएसएस न तो लोकतांत्रिक है और न ही धर्मनिरपेक्ष है। मोदी जो महंगाई घटाने का दम भर रहे हैं, वे क्या बाजार की शक्तियों को नियंत्रित कर देंगे? जब उत्पादन और रोजगार बढ़ाएंगे नहीं, तो कीमतों पर नियंत्रण कैसे करेंगे? उन्होंने जोर देकर कहा कि जो सरकार बाजार और पूंजीपतियों पर नियंत्रण नहीं कर सकती, वह समाज की असमानता और आर्थिक गैरबराबरी को भी दूर नहीं कर सकती। इनके पास भ्रष्टाचार के निंयत्रण की कोई नीति नहीं है। ये शिक्षा को बेहतर नहीं बना सकते। ये मनमोहन सिंह की ही नीतियों को बढ़ाने वाले हैं। इसलिए भाजपा-कांग्रेस की नीतियों में बदलाव के लिए आरा से जो आवाज उठी है, उसका जोरदार समर्थन किया जाना चाहिए। राजू यादव को वोट देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आरा से वे मतदाता होते, तो वे राजू यादव को ही अपना वोट देते। वे ऐसे सांसद होंगे, जिन तक जनता अपनी समस्याएं लेकर आसानी से पहुंच सकती है। 
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व डीन प्रो. रामतवक्या सिंह ने कहा कि संसद में जनता की आवाज को भेजना बहुत जरूरी है। एक जुझारू सांसद भी संसद की तस्वीर बदल सकता है। अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष राघवेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि विधायिका पूंजीवादी शक्तियों का गढ़ बन गई है, उसमें जनता का सच्चा प्रतिनिधि भेजना बेहद जरूरी है। प्रो. विश्वनाथ राय ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से सिर्फ कम्युनिष्ट ही लड़ सकते हैं। जसम के राष्ट्रीय सहसचिव कवि जितंेद्र कुमार ने कहा कि सांप्रदायिक फासीवादी राजनीति का जवाब अवसरवादी और कुनबापरस्त राजनीति नहीं हो सकती। मौकापरस्त गठबंधनों के जरिए उन्हें नहीं रोका जा सकता। उनको तो जनसंघर्ष की ताकतें ही रोक सकती हैं। 
जैन काॅलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. पारसनाथ सिंह ने विस्तार से चुनावों के इतिहास पर बोलते हुए कहा कि संविधान चलाने की जिम्मेवारी लेने वाली पार्टियां उसे लागू करने में विफल हो चुकी हैं, लेकिन निराश होने के बजाए बदलाव के लिए लड़ने वाली पार्टियों का साथ देने की जरूरत है। वीर कुंवर सिंह वि.वि. हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रवींद्रनाथ राय ने कहा कि मीडिया एक ही पार्टी के प्रचार का माध्यम बन गयी है। गुजरात के विकास के बारे में झूठे दावे प्रचारित किए जा रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए काम कर रही हैं और दोनों सांप्रदायिक धुव्रीकरण की राजनीति करती हैं। इसलिए आज जरूरत यह है कि समाज के विकास और कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर लड़ने वाली पाटियों के साथ खड़ा हुआ जाए, यही बुद्धिजीवी होने  की सार्थकता होगी। अधिवक्ता आनंद वात्सायायन ने कहा कि संसद में ऐसे व्यक्ति को भेजना जरूरी है, जो हमारी समस्याओं को जानता हो और उसके लिए लड़ सकता हो। इस कसौटी पर राजू यादव बिल्कुल खरे हैं। संगोष्ठी में फ्रेंच शोधार्थी ज्यां थाॅमस ने भी अपने विचार रखे। 
संगोष्ठी का संचालन कवि सुनील चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता अमित कुमार बंटी ने किया। इस मौके पर आइसा महासचिव अभ्युदय, रचना समेत कई छात्र-नेता, बुद्धिजीवी, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी भी मौजूद थे।
संगोष्ठी के पहले आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रो. नवलकिशोर चौधरी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भाकपा-माले ही है, जो संविधान की मूल प्रस्थापनाओं के प्रति प्रतिबद्ध है। वही है जो उन मूल्यों के लिए संघर्ष चलाती है। जिस तरह की कारपोरेटपरस्त नीतियां देश में कांग्रेस-भाजपा और उनके सहयोगी दलों के द्वारा चलाई जा रही हैं, उनके खिलाफ संघर्ष चलाने वाली एकमात्र पार्टी भाकपा-माले हैं, यही पार्टी है जो मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेवार इन नीतियों को बदलने का संघर्ष चला रही है। माले के उम्मीदवार नौजवान हैं, छात्र-नौजवानों के आंदोलनों का नेतृत्व करते रहे हैं, संसद में नीतियों को बदलने के लिए ऐसे ही उम्मीदवार को सांसद के रूप में चुना जाना चाहिए। 
आरा शहर के 71 प्रबुद्ध नागरिकों ने इसके पहले राजू यादव के पक्ष में अपील का एक पर्चा जारी किया है, अब इस संगोष्ठी से राजू यादव के समर्थन में चल रहे प्रबुद्ध नागरिकों की मुहिम को और बल मिला है। 

Saturday, April 12, 2014

राजू यादव के समर्थन में आरा के प्रबुद्ध नागरिकों की अपील


माले की तमाम कमिटियां और इससे जुड़े सारे जनसंगठन राजू यादव के प्रचार में लगे हैं

माले का चौतरफा चुनाव प्रचार जारी है: का. कुणाल 

आरा: 12 अप्रैल 2014
आरा में अपने प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए कैंप किए हुए भाकपा-माले के राज्य सचिव का. कुणाल ने कहा है कि पूरे लोकसभा में पार्टी का जमीनी स्तर पर जोरदार प्रचार अभियान चल रहा है
दैनिक आज १३ अप्रैल 
प्रभात खबर 
केंद्रीय कमेटी का. कृष्णदेव यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, राज्य कमेटी सदस्य का. सुदामा प्रसाद, जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह समेत तमाम जिला कमेटी सदस्य, इनौस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. असलम, आइसा के राज्य सचिव का. अजित कुशवाहा, आइसा जिला अध्यक्ष का. सबीर, ऐपवा की शोभा मंडल, ऐक्टू के यदुनंदन चैधरी, बिहार राज्य कर्मचारी महासंघ-गोप गुट के मदन प्रसाद और उमा यादव, रिक्शा टमटम, टेंपू यूनियन के नेता का. गोपाल प्रसाद, फुटपाथी दूकानदार संघ सह निर्माण मजदूर यूनियन के बालमुकुंद यूनियन, आॅल बिहार प्रोग्रेसिव एडवोकेट एसोसिएशन के अमित कुमार बंटी, माले नगर सचिव का. दिलराज प्रीतम, वार्ड पार्षद विद्यावती देवी, सुधा देवी, लल्लू कुमार, नगर कमेटी सदस्य सत्यदेव, दीनानाथ सिंह, राजनाथ पासवान, सुरेश पासवान, खेमस के कामता प्रसाद सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष चंद्रदीप सिंह, पूर्व विधायक अरुण सिंह समेत तमाम प्रखंडों और ब्रांचों के सचिव इस चुनाव अभियान में लगे हैं।
दैनिक हिन्दुस्तान 
इंकलाब नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि राय अगिआंव में तथा राज्य स्थायी समिति के सदस्य का. संतोष सहर शाहपुर  में, का. क्यामुद्दीन आरा मुफस्सिल में तथा का. महेश और राजू रंजन बड़हरा में, संदेश में परशुराम सिंह, सहार में मदन जी, तरारी में विंदेश्वरी जी, चरपोखरी में रमेश और रघुवर पासवान, पीरो में विजय जी आदि खास तौर पर चुनाव के अभियान की कमान संभाले हुए हैं। आइसा ने करीब साढ़े तीन सौ छात्र-नौजवानों को चुनाव प्रचार के लिए संगठित किया है, जो पिछले दो सप्ताह से पूरावक्ती कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं।
कई दिनों के बाद जागरण में एक छोटी सी खबर 
सांस्कृतिक संगठन हिरावल और युवानीति के कलाकार भी प्रचार में जुटे हुए हैं। हर रोज नए-नए कार्यकर्ता और प्रचारक पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं। पार्टी की सभाओं और बैठकों मे उत्साह के साथ उमड़ती जनता को देखकर इस बार लगता है कि माले 1989 के इतिहास को दुहराएगा और राजू यादव को यहां से जीत हासिल होगी। 
कल से पार्टी के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य दो दिवसीय दौरा शुरू हो रहा है। जिसमें वे आठ सभाओं को संबोधित करेंगे। 

जिसने अपनी पत्नी का सम्मान नहीं किया, वह देश की महिलाओं का सम्मान कैसे करेगा?: ऐपवा



भाजपा-सपा दोनों खापवादी मानसिकता से ग्रस्त हैं: ऐपवा
मुलायम सिंह यादव और अबू आजमी के बयानों की भी निंदा
(आरा में यह प्रेस रिलीज दिया गया था, जिसमें से सिर्फ एक अखबार हिंदुस्तान ने दो पंक्तियां छापा, और उसमें भी मोदी का नाम हटा दिया)

आरा: 12 अप्रैल 2014
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन-ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव का. मीना तिवारी और सचिव का. कविता कृष्णन ने नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी पत्नी को 45 साल तक सम्मान और पहचान से वंचित रखने तथा बलात्कारियों के पक्ष में दिए गए मुलायम सिंह के बयान तथा स्त्री-पुरुष संबंधों पर अबू आजमी के बयान की सख्त आलोचना की है। 
ऐपवा नेताओं ने कहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड की बात करने वाले मोदी ने खुद अपने जीवन में सिविल कोड का पालन नहीं किया है। 45 वर्षों तक जिसने अपनी पत्नी का सम्मान नहीं किया, वह देश की महिलाओं का सम्मान कैसे कर सकता है? मोदी के जरिए ऐसी पार्टी सत्ता में आना चाह रही है, जिसका महिलाओं के प्रति निर्मम अत्याचार और नृशंसता का इतिहास है। बजरंग दल और श्रीराम सेना द्वारा प्रेमी युगलों, खासकर लड़कियों पर हमले हों या गुजरात जनसंहार, मुजफ्फरनगर दंगा, बथानी टोला जनसंहार में महिलाओं के साथ बलात्कार करने, अंगों को हथियार से काटने या आग में झोंक देने की घटनाएं- ये भाजपा द्वारा महिलाओं के साथ नृशंस व्यवहार के हृदयविदारक उदाहरण हैं। मोदी पर एक स्त्री के पीछे पूरी प्रशासनिक मशीनरी और खुफिया पुलिस को लगाकर उसकी जासूसी कराने का भी गंभीर आरोप है। यह कानूनन गंभीर अपराध है। 
मुलायम सिंह यादव द्वारा बलात्कार के दोषियों की तरफदारी में दिए गए बयान तथा अबू आजमी द्वारा पति के अलावा किसी गैरपुरुष से संबंध बनाने वाली स्त्री को फांसी की सजा दिए जाने वाले बयान की भी ऐपवा नेताओं ने निंदा की है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह मुजफ्फरनगर दंगा में भाजपा और सपा का मुस्लिम विरोधी रवैये उजागर हुआ, उसी तरह स्त्रियों की आजादी, सम्मान और सुरक्षा के मुद्दे पर भी दोनों की एकता दिख रही है। दोनों खापवादी मानसिकता से ग्रस्त हैं। खाप पंचायतें सहमति के आधार पर बनने वाले संबंधों में प्रेमियों की हत्याएं करती रही हैं, इन्हीं खाप पंचायतों को उकसाकर भाजपा के अमित शाह ने मुजफ्फरनगर में अल्पसंख्यकों के कत्लेआम करवाए और सपा के सांसद अबू आजमी इन्हीं खाप पंचायतों के लहजे में सहमति से बनने वाले संबंधों में लड़कियों को फांसी पर चढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। चुनाव के इस दौर में ऐसी ताकतों को राजनैतिक शिकस्त देने के लिए महिलाओं को संगठित होना चाहिए। 

Friday, April 11, 2014

भोजपुर की इंकलाबी जनता मेरी ताकत है: राजू यादव

शासकवर्ग की राजनीतिक लहर के विपरीत जनता की लहर चलती है आरा में: राजू यादव
माले की जीत धन की ताकत पर जन की ताकत की जीत होगी: राजू यादव

आरा: 11 अप्रैल 2014 
दैनिक आज १२ अप्रैल 
प्रभात खबर 
आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के माले प्रत्याशी राजू यादव ने आज सहार व तरारी प्रखंडों केे सहार बाजार, मोआप, सिकरहटा, जनकपुरिया, अंधारी, चैंरी, बहुआरा, अमरूंहा, चक, धनछुंहा, पतलपुरा, खडांव, पेरहाप, एकवारी आदि में प्रचार अभियान चलाया। हर जगह ग्रामीणों और नौजवानों में भारी उत्साह दिख रहा है। राजू यादव ने लोगों से कहा कि भोजपुर में सामंती-सांप्रदायिक शक्तियों के आतंक और उत्पीड़न के खिलाफ गरीब-मेहनतकशों की जिस राजनीतिक दावेदारी के लिए भाकपा-माले ने पिछले चालीस वर्षों में जुझारू संघर्ष चलाया है, जिस सपने के लिए हमारे साथियों ने शहादत दी है, उन सपनों के साथ गद्दारी करने या उन सपनों को कुचलने की कोशिश करने वालों को जनता कभी भी माफ नहीं करेगी। 
दैनिक हिंदुस्तान 
राजू यादव ने कहा कि सूचना माध्यमों पर पूंजीवादी, सामंती-सांप्रदायिक शक्तियों का कब्जा है, उन्हें भी गरीबों और मेहनतकशों के खिलाफ खड़ा कर दिया गया है। इसलिए टीवी और अखबारों में आ रहे करोड़ों रुपये के अंधाधुंध विज्ञापनों के बहकावे में लोग न आएं, बल्कि धन के इस निर्लज्ज प्रदर्शन का करारा जवाब दें। आरा से माले की जीत धन की ताकत के खिलाफ जन की ताकत की जीत होगी। 
प्रचार अभियान के दौरान राजू ने कहा कि यह प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं हो रहा है, बल्कि सांसदों का चुनाव है। नीतियां तय करने में सांसदों की ही भूमिका होती है। संसद और विधानसभाओं में अगर जनपक्षीय लोग पहुंचते हैं, तो वे पूंजीपतियों और सामंती-सांप्रदायिक शक्तियों की चाकरी करने के बजाए वहां जनता की आवाज उठाते हैं। का. रामनरेश राम, का. रामेश्वर प्रसाद और का. महेंद्र सिंह जैसे माले के जनप्रतिनिधियों ने इसे साबित किया है कि संसद और विधानसभाओं के भीतर भी जनता की जोरदार लड़ाई लड़ी जा सकती है। 
राष्ट्रीय सहारा 
का. राजू यादव ने कहा कि भोजपुर की संघर्षशील और इंकलाबी जनता ही उनकी ताकत है। भोजपुर की खासियत यह है कि शासकवर्ग जो लहर पैदा करता है, हमेशा उसके खिलाफ यहां जनता की अपनी लहर चलती है। आरा से माले को जिताकर भोजपुर की जनता पूंजीवादपरस्त, सांप्रदायिक-सामंती-अवसरवादी राजनीति के विरोध में एक मजबूत जनराजनीतिक विकल्प और पूरे देश की राजनीति को एक सही रास्ता देगी, यह तय है। 

जबले ठगल तबले ठगल अबकी ना ठगाइब, अबकी माले जिताइब- हिरावल

हिरावल माले प्रत्याशी के प्रचार में उतरी
हिरावल के कलाकारों द्वारा निर्मित फिल्म ‘विकास का इलाज’ का भी माले के प्रचार में हो रहा है इस्तेमाल 

आरा: 10 अप्रैल 2014 
आरा से माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए संस्कृतिकर्मी भी उतर पड़े है। बिहार की चर्चित गीत-नाट्य संस्था ‘हिरावल’ के कलाकार संतोष झा, समता राय और अभिनव आरा संसदीय क्षेत्र के तमाम प्रमुख बाजार और प्रखंड मुख्यालयों पर देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर जनमानस को झकझोरने और संसद के भीतर माले जैसी जनपक्षीय जनराजनीतिक ताकत को भेजने की अपील करने वाले गीत पेश कर रहे हैं। 
राष्ट्रीय सहारा ११ अप्रैल 
इन गीतों में सांप्रदायिक उन्माद, कारपोरेटपरस्त राजनीति और राजनीतिक अवसरवाद व कुनबापरस्ती पर जोरदार प्रहार किया गया है। कलाकार तमाम सत्ताधारी पार्टियों के जनविरोधी चरित्र का पर्दाफाश कर रहे हैं। इन गीतों में एक ओर खेती, उद्योग के चैपट होने और जनता की हालत पस्त होने की सच्चाई का जिक्र किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी नेताओं के मस्त होने की विडंबना के माध्यम से जनता को उद्वेलित किया जा रहा है। सांसदों का क्षेत्र की जनता के बीच न जाने और विकास के झूठे दावे करने की प्रवृत्ति की भी आलोचना की गई है। 
लोकधुनों के अतिरिक्त कई आधुनिक धुनों का भी कलाकारों ने इस्तेमाल किया है। जबले ठगल तबले ठगल अबकी ना ठगाइब, अबकी माले जिताइब; सबनी से आस टूटल माले बस सहारा बा जैसे गीतों के जरिए कलाकार राजू यादव के लिए वोट देने की अपील कर रहे हैं। हिरावल के कलाकार कायमनगर, चांदी, संदेश, अजीमाबाद, सहार, पवना, गड़हनी, चरपोखरी, पीरो, खुटंहा मुफ्ती, हसन बाजार, अगिआंव बाजार में अपना कार्यक्रम पेश किया। कायमनगर में गायक राजू रंजन और गड़हनी में जनकवि कृष्ण कुमार निर्मोही भी उनके साथ थे। अभी ये आरा निर्वाचन क्षेत्र के अन्य इलाकों में भी कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. हिरावल की ओर से प्रचार गीतों का एक ऑडियो सीडी भी निकाला गया है, जो माले के प्रचार अभियान में बज रहा है. 
हिरावल की ओर से ‘विकास का इलाज उर्फ माले है विकल्प’ नामक एक वीडियो फिल्म का निर्माण किया गया है, जिसमें बिहार के विकास के सवाल को केंद्र में रखा गया है, जिसमें तमाम सत्ताधारी पार्टियों के प्रमुख को डाॅक्टर के बतौर दिखाया गया है, जो दावे तो बड़े-बड़े कर रहे हैं, पर बिहार के हाथों में जो ‘विकास’ नामक बच्चा है, वह अविकसित ही रह जा रहा है। फिल्म में आखिर में एक सर्जन है, जिसके दो सहयोगी हैं- एक सांप्रदायिक ताकतें और दूसरा कारपोरेट। 
वह इन्हीं दोनों सहयोगियों के कंधे पर सवार होकर बिहार की जनता को विकास का सपना दिखा रहा है। लेकिन जनता उसके बड़बोले दावों में नहीं आती, वह छात्र-नौजवान, अल्पसंख्यक, महिलाएं, मजदूर, किसान, दलित, आदिवासी जनता उस पर सवालों की बौछार कर देती है। अंत में जनता इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि माले के लाल परचम के तले वह संघर्षों के बल पर  ‘विकास’ का इलाज करेगी, अपनी समस्याओं का समाधान करेगी। इस फिल्म में राजन, रामकुमार, अभिनव, युसूफ, संतोष झा, समता राय, सुमन कुमार, कुंदन, दिव्या गौतम, सुधीर सुमन समेत कई कलाकारों ने अभिनय किया है। 
दैनिक हिंदुस्तान 
यह एक ऐसी फिल्म है, जो चुनाव अभियान के बाद भी प्रासंगिक रहेगी, क्योंकि यह विकास के राजनीतिक दावों पर बहस छेड़ती है। इस फिल्म को माले के जनाधारों में काफी पसंद किया जा रहा है। 
प्रभात खबर 
साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी और प्रबुद्ध नागरिक भी माले प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में गोलबंद हो रहे हैं। प्रचार के अंतिम दौर में उनकी ओर से भी अपील का एक पर्चा जारी होगा।

आरा शहर में माले प्रत्याशी राजू यादव का सघन जनसंपर्क अभियान

सैकड़ों नौजवान प्रचार अभियान में शामिल हुए, नागरिकों में उत्साह 
सांप्रदायिक कारपोरेटपरस्त राजनीति को बदल देंगे छात्र-नौजवान: राजू यादव
आरा: 9 अप्रैल 2014
भाकपा-माले प्रत्याशी राजू यादव ने आज आरा शहर के अनाइठ, गोढ़ना रोड, बहिरो, श्रीटोला, जवाहरटोला, पूर्वी नवादा, करमनटोला, न्यू करमनटोला, शीतलटोला, न्यू शीतलटोला, शिवगंज, मोती टोला, धरहरा, चीकटोली, वलीगंज, दूधकटोरा, अबरपुल, भलुंहीपुर, मीराचक, बेगमपुर, तरी मुहल्ला और एम.पी.बाग में सघन जनसंपर्क अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान आइसा महासचिव अभ्युदय, माले जिला कमेटी सदस्य क्यामुद्दीन, आइसा नेता सुधीर, तारिक, वार्ड पार्षद गोपाल प्रसाद, लल्लू कुमार, राजेंद्र यादव, दीनानाथ सिंह, अमित कुमार बंटी, मो. शहाबुद्दीन, सुरेश पासवान, पूर्व वार्ड पार्षद सुरेंद्र साह, अवधेश जी, शेखर, मो. सैरूद्दीन, मो. शैफूल, राजू प्रसाद, सत्यदेव, अजिताभ, पवन समेत हाथों में लाल झंडा लिए सैकड़ों छात्र-नौजवान शामिल थे। 
dainik aaj 10 apr
राजू यादव ने कहा है कि हमारे साथ प्रचार में जितने छात्र-नौजवान हैं, वे धनबल के आधार पर नहीं जुटाए गए हैं, बल्कि ये हमारे आंदोलनों के साथी हैं। ये समझ रहे हैं कि शासकवर्गीय पार्टियां नौजवानों के साथ सिर्फ छल कर रही हैं। समान शिक्षा प्रणाली और सम्मानजनक रोजगार की जो मांग है, उसकी भाजपा, कांग्रेस, जद-यू, राजद सबने अनदेखी की है, जबकि भाकपा-माले इस पर लगातार संघर्ष करती रही है। नौजवान जिनके कंधे पर देश का भविष्य है, उन पर भरोसा करने के बजाए सत्ताधारी पार्टियां भ्रष्ट अवसरवादी नेताओं, अपने बेटे-बेटियों, रिटायर्ड नौकरशाहों, थैलीशाहों और अपराधियों को टिकट दे रही हैं। ऐसे लोग सांसद बनेंगे तो नौजवानों की जिंदगी से खिलवाड़ ही करेंगे। 
rashtriy sahara 11 apr 
यह दैनिक हिंदुस्तान की खबर 
राजू यादव ने कहा है कि भाकपा-माले ने छात्र-नौजवान-महिला और मजदूर-किसान आंदोलनों का ईमानदारी से नेतृत्व करने वाले कई नौजवान नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाया है। ये सारे नौजवान आम जनता के बीच से आए हैं, किसी पूंजीवादी-सामंती-सांप्रदायिक ताकत से इनका सरोकार नहीं है। यह राजनीति का वह चेहरा है, जो इस देश की सांप्रदायिक-कारपोरेटपरस्त राजनीति को बदल सकता है। 
राजू यादव ने कहा कि गरीब-मेहनतकशों के तमाम मुहल्लों में जिस उत्साह से हमारा स्वागत हो रहा है, वह बता रहा है कि लोग दलबदलू, अवसरवादी और संप्रदायवादी प्रत्याशियों से उब चुके हैं, वे परिवर्तन चाहते हैं। लोग भरोसेमंद सांसद चाहते हैं, जिसका  स्थानीय जनता की जिंदगी और उसके मुद्दों से प्रत्यक्ष संबंध हो तथा जो आरा संसदीय क्षेत्र की जनता की समस्याओं के लिए जिम्मेवार नीतियों को बदलने के लिए संघर्ष करे। बतौर माले उम्मीदवार वे जनता के इसी आकांक्षा को पूरा करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

Wednesday, April 9, 2014

साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों और प्रबुद्ध नागरिकों की मतदाताओं से अपील


(यह अपील का प्रारूप है जिसे साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों और प्रबुद्ध नागरिकों को भेजा गया है. जितने लोग अपीलकर्ता के रूप में अपने नाम की सहमति देंगे उनके नाम से यह पर्चा छपवाया जायेगा.  सहमति यहाँ दी जा सकती है. )


बदलो नीति बदलो राज, संसद में जनता की आवाज

सांप्रदायिक उन्माद, अन्याय, अवसरवाद और लूट की राजनीति को शिकस्त दें
जनता के बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए माले को वोट दें

महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी व प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर रोक लगाएं
जनता के लोकतांत्रिक आंदोलनों को मजबूत बनाएं, आरा से राजू यादव को जिताएं

मतदाता बंधुओ,
इस लोकसभा चुनाव में देश के पूंजीपति इस बार सीधे अपने पसंद का प्रधानमंत्री बनाने के अरबों-खरबों रुपये खर्च कर रहे हैं। उनको उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे, तो उनको फायदा पहुंचाने वाली नीतियों को बर्बरता से लागू करेंगे। इसी कारण पूंजीवादी मीडिया गुजरात में जनता के विकास के झूठे माॅडल का दिन-रात शोर मचा रही है। सवाल यह है कि क्या हम 2002 के राज्य प्रायोजित गुजरात जनसंहार को भूल सकते हैं? क्या हम देश बेचने को देश प्रेम कहेंगे, क्या अल्पसंख्यकों, दलितों, गरीबों के कत्लेआम को राष्ट्रवाद कहेंगे, क्या आदिवासियों और किसानों की जमीन को हड़पकर अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों को दे देने को विकास कहेंगे, क्या हम पूंजीपतियों को लूट की छूट देने को जनता का विकास मान लेंगे?
अपील पर कवि केडी सिंह की काव्यात्मक प्रतिक्रिया 
बंधुओ, भाजपा केंद्र की यूपीए सरकार की ही आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ा रही है। इन नीतियों के कारण ही बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी है, बड़े पैमाने के घोटाले और भ्रष्टाचार हुए हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक सांप्रदायिक उन्माद भड़काने के साथ-साथ भ्रष्टाचार और घोटालों में भी लिप्त पाए गए हैं। भाजपा की पूंजीवादपरस्त सामंती-सांप्रदायिक फासीवादी राजनीति का एकमात्र जवाब जनता की सच्ची राजनीति ही हो सकती है। उन पार्टियों से कोई उम्मीद करना बेकार है, जिनका  सांप्रदायिक-जातिवादी-क्षेत्रवादी धुव्रीकरण तथा काले धन और अवसरवादी गठबंधनों के जरिए संसद में पहुंचना ही एकमात्र मकसद रह गया है। भाजपा समेत तमाम शासकवर्गीय पार्टियों को लगता है कि पांच साल जनता के सवालों और संघर्षों से कटे रहकर भी चुनाव के वक्त अपने झूठे दावों के घनघोर मीडिया प्रचार, हैलिकाॅप्टर वाली रैलियों और धन के बल पर वे जनता के वोट को हड़प सकती हैं और जनता उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। 
आइए धन और लूट की इस राजनीति की मनमानियों के खिलाफ जन की राजनीति को विजयी बनाएं। भाकपा-माले ऐसी पार्टी है, जो हमेशा जनता के सहयोग से जनता के बुनियादी मुद्दों पर चुनाव लड़ती रही है। माले ने समाज के गरीब-कमजोर वर्ग को वोट का अधिकार दिलाने के लिए भी ऐतिहासिक संघर्ष किया है। ग्रामीण गरीबों और खेत मजदूरों के लिए रोजगार और मजदूरी का सवाल हो या सोन नहर के आधुनिकीकरण, नलकूप, डीजल अनुदान, धान क्रय केंद्र और फसल की उचित कीमत का सवाल या छात्र-नौजवानों की शिक्षा, बेराजगारी आदि के सवाल, माले ही इन सवालों पर लगातार आंदोलन करती रही है। सड़क, सफाई, स्वास्थ्य, आम अवाम की सुरक्षा आदि तमाम मुद्दों पर माले ने संघर्ष चलाया है। बाढ़-सूखा-अकाल जैसी आपदाओं के वक्त भी जनता की मदद में यह पार्टी खड़ी नजर आती है। हाल-फिलहाल में बिजली की दर वृद्धि के खिलाफ इसके राज्यव्यापी आंदोलन के कारण सरकार को प्रस्तावित वृद्धि वापस लेनी पड़ी। बिहार सरकार की शराब नीति ने जिस तरह की असामाजिकता, खासकर महिला विरोधी सामंती संस्कृति का मनोबल बढ़ाया है, उसके खिलाफ भी माले ने शराबबंदी का आंदोलन चलाया। शराबबंदी के सवाल पर और बच्चियों के बलात्कार के खिलाफ आंदोलन करने के कारण माले के रोहतास जिला सचिव भैयाराम यादव को शहादत तक देनी पड़ी। महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और आजादी के लिए लड़ने का इस पार्टी का बेमिसाल रिकार्ड रहा है।
माले ने जद-यू, लोजपा की तरह सांप्रदायिक उन्माद की ताकतों के साथ कभी भी समझौता नहीं किया, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सेकुलरिज्म के लिए जमीनी स्तर पर संघर्ष किया है। संप्रदाय और जाति के मुखौटे में रहने वाले बाहुबलियों और अपराधियों के खिलाफ यह पार्टी संघर्ष चलाती रही है, जबकि सत्ताधारी जद-यू हो या भाजपा, राजद, लोजपा सब उनको संरक्षण देते रहे हैं। ऐन चुनाव प्रचार के दौरान माले नेता बुधराम पासवान की रात के अंधेरे में जिस निर्मम तरीके से हत्या की गई, वह एक राजनैतिक साजिश ही लगती है। इस हत्या के बाद माले कार्यकर्ताओं ने जिस अनुशासन और संयम का परिचय दिया, उसकी तुलना आरा में ही नरसंहारों के लिए चर्चित एक आरोपी की हत्या के बाद मचाए गए तोड़फोड़ और आतंक से करें, तो अन्याय और अपराध की संरक्षक राजनीति और जनता की राजनीति का फर्क स्पष्ट हो जाता है। आज भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की बात सब कर रहे हैं, यहां तक कि बिहार सरकार भी, लेकिन शायद यह अलग से बताने की जरूरत नहीं है कि बिहार में भ्रष्टाचार कई गुना बढ़ चुका है, जनता इसे हर रोज झेल रही है। भ्रष्टाचार चाहे नीतियों की वजह से हो या भ्रष्टाचार प्रशासन और राजनीति में हो, माले का ही उससे स्वाभाविक टकराव रहा है। 
भाकपा-माले ने  आरा से युवा नेता राजू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। माले उम्मीदवार की छवि एक ईमानदार और समर्पित जनराजनैतिक कार्यकर्ता की है। वे न तो दलबदलू हैं और न ही अचानक राजनीति में आ टपके हैं। आपसे अपील है कि भाकपा-माले को हर स्तर से सहयोग करके आरा से इस देश में एक ताकतवर जनराजनीतिक विकल्प दीजिए। जनता के बुनियादी सवालों पर संघर्ष करने वाली पार्टी भाकपा-माले और उसके युवा उम्मीदवार राजू यादव को वोट देकर संसद में भेजिए, ताकि वे वहां पहुंचकर संसद के भीतर जनपक्षीय नीतियों के निर्माण के लिए संघर्ष करें। इतिहास के हर नाजुक मोड़ पर भोजपुर ने विकल्प दिया है, उस परंपरा को आगे बढ़ाइए। आइए इस देश और लोकतंत्र को बचाने तथा देश की राजनीति को जनपक्षीय दिशा देने के संघर्ष में हम सब भी अपनी निर्णायक भूमिका निभाएं।