Monday, April 7, 2014

का. बुधराम पासवान की हत्या एक राजनीतिक हत्या है,



यह चुनाव में गरीब-मेहनतकशों की गोलबंदी रोकने की साजिश है: का. कुणाल
जनता से हत्यारों की राजनैतिक साजिश का करारा जवाब देने का आह्वान

23 मार्च 2014
भाकपा-माले के राज्य सचिव का. कुणाल ने माले के चरपोखरी प्रखंड सचिव का. बुधराम पासवान की हत्या को राजनीतिक हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा है कि सामंती-सांप्रदायिक-अपराधी ताकतों ने आसन्न लोकसभा चुनाव में गरीबों, मजदूर-किसानों और न्यायपसंद लोगों की बढ़ती राजनीतिक गोलबंदी से घबराकर का. बुधराम पासवान की हत्या की है। ये वही ताकतें हैं, जो गरीब-मेहनतकशों को वोट डालने नहीं देती थीं, लेकिन जनता ने संघर्ष और शहादत के बल पर उस अधिकार को हासिल किया। का. कुणाल ने कहा है कि इन सामंती-सांप्रदायिक-अपराधी ताकतों के पास जनता का कोई मुद्दा नहीं रह गया है, ये पूरे जिले में अशांति और आतंक का माहौल पैदा करके जनादेश को हड़पने की साजिश कर रही हैं। भाजपा-जद (यू) के शासनकाल में इनका मनोबल बढ़ा है और गठबंधन टूटने के बाद भी इन पर सरकार और प्रशासन का कोई अंकुश नहीं है। का. कुणाल ने जनता से इन ताकतों की राजनीतिक साजिशों का करारा जवाब देने का आह्वान किया है। 
का. कुणाल ने कहा कि एक ही दिन पहले पीरो में कोचिंग चलाने वाले एक लोकप्रिय शिक्षक अकबर खां की हत्या कर दी गई। समाज में जो भी ईमानदार और जनपक्षीय लोग हैं, जो जनता के आंदोलनों के नेता है, जो सामंती शोषण-उत्पीड़न और सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने वालों के खिलाफ लड़ते हैं, वे सब राजनीतिक संरक्षण प्राप्त इन अपराधियों के निशाने पर हैं। इसके पहले नासरीगंज में माले के रोहतास जिला सचिव का. भैयाराम यादव, औरंगाबाद के लोकप्रिय मुखिया छोटू कुशवाहा की हत्याएं भी ऐसी ही ताकतों ने की थी। आरा में भाकपा-माले कार्यकर्ता सूफियान की हत्या के लिए भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ऐसे ही अपराधी जिम्मेवार थे।  
का. कुणाल ने कहा कि एक दिन बाद ही आरा लोकसभा से माले प्रत्याशी का नामांकन होना था। का. बुधराम पासवान इसी सिलसिले में एक बैठक के लिए अकेले रेपुरा जा रहे थे कि रास्ते में अपराधियों ने कायरतापूर्ण तरीके से घेरकर उन्हंे गोली मार दी। कल होने वाला माले प्रत्याशी का नामांकन अब 25 मार्च को होगा। माले पूरे सप्ताह गांव गांव में का. बुधराम की हत्या के खिलाफ संकल्प सभाएं करेगी और 30 मार्च को अंतिम संकल्प सभा चरपोखरी में होगी, जिसे पार्टी के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य संबोधित करेंगे। जनता का. बुधराम की हत्या के राजनीतिक साजिशकर्ताओं के मंसूबों को निश्चित तौर पर धूल चटाएगी। 

मजदूर किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय थे का. बुधराम
का. बुधराम पासवान रेपुरा गांव के ही निवासी थे। लगभग 45 वर्ष की उनकी उम्र का बड़ा हिस्सा भाकपा-माले के कार्यकर्ता और संगठक के रूप में गुजरा। अस्सी के दशक में उनका जुड़ाव पार्टी के साथ हुआ था। उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक लड़का और दो लड़की है। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की थी। पिछले डेढ़ दशक से वे भाकपा-माले के चरपोखरी प्रखंड के सचिव थे और भोजपुर जिला कमेटी के सदस्य थे। उन्होंने गरीब-भूमिहीनों के भूमि आंदोलन, बंटाईदारों और छोटे किसानों के आंदोलन, उचित मजदूरी, मनरेगा, शराबबंदी, बिजली आदि कई मुद्दों पर आंदोलनों का नेतृत्व किया। नगरी जनसंहार के दोषियों के खिलाफ गवाही देने वालों बहादुर मजदूर-किसानों ने उनका नेतृत्व पाया। वे बेहद सौम्य निर्भीक और कर्मठ कार्यकर्ता थे। किसी से उनकी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने जनता के जनतांत्रिक सवालों पर उभरे कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और कई बार पुलिसिया दमन भी झेला। वे मजदूर किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। 


पूरे जिले में आक्रोश 
आज सुबह का. बुधराम पासवान की हत्या की सूचना मिलते ही गरीबों और मजदूर-किसानों में आक्रोश भड़क उठा। अगियांव में ननऊर, कोईलवर में अखगांव, सहार में अंधारी, पीरो में हसवाडिह, तरारी में जेठवार और फतेहपुर, जगदीशपुर में इसाढ़ी और नयका टोला और संदेश प्रखंड के संदेश बाजार समेत जिले के कई जगहों में आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर दिया। आरा में छात्र-नौजवानों और संस्कृतिकर्मियों ने भगतसिंह की शहादत के मौके पर पूर्व घोषित सेमिनार को रद्द करते हुए का. बुधराम पासवान की हत्या के खिलाफ एक प्रतिवाद मार्च निकाला। मार्च के दौरान जनमत के संपादक सुधीर सुमन और आइसा राज्य सचिव का. अजीत कुशवाहा ने भगतसिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और का. बुधराम पासवान की को भगतसिंह की शहादत की पंरपरा से जोड़ा। प्रतिवाद मार्च गोपाली चैक पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया, जिसे का. दिलराज प्रीतम, का. क्यामुद्दीन और सुधीर सुमन ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि हत्यारे पूरे देश में नंगा नाच रहे हैं और जननेताओं की हत्या हो रही है। का. बुधराम पासवान शोषण, लूट और अपराध के बल पर कायम राजनीतिक संस्कृति में बदलाव के लिए लड़ने वाले एक जनप्रिय नेता थे। वे वास्तविक जनतंत्र के लिए छेड़े गए का. जगदीश मास्टर, रामेश्वर अहीर और का. रामनरेश राम की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले कामरेड थे। जिस तरह सत्तर के दशक में नेताओं की शहादत के बावजूद उनकी लड़ाई को शासकवर्ग खत्म नहीं कर पाया, उसी तरह का. बुधराम पासवान की हत्या के बावजूद हत्यारों का राजनीतिक मंसूबा पूरा नहीं होगा। जनता उन्हें करारा जवाब देगी। 
आज सुबह राज्य कमेटी सदस्य का. सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह और अरुण सिंह, इनौस के उपाध्यक्ष का. असलम, माले जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह, माले प्रत्याशी राजू यादव, खेमस नेता कामता प्रसाद सिंह, रघुवर पासवान, विंदेश्वरी जी घटनास्थल पर पहुंचे और का. बुधराम पासवान के शोकसंतप्त परिजनों से मिले। उसके बाद का. बुधराम पासवान का शव भाकपा-माले जिला कार्यालय, आरा में लाया गया। 

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