Monday, April 7, 2014

शोक को शक्ति में बदल देने के संकल्प के साथ माले नेता को अंतिम विदाई दी गई


का. बुधराम पासवान के अधूरे सपनों और अरमानों को पूरा करने का संकल्प लिया गया
माले नेता की हत्या की राजनीतिक साजिश का जवाब देने का आह्वान
प्रकाशनार्थ/ प्रसारणार्थ
आरा: 24 मार्च 2014
माले कार्यालय में आज सुबह से ही आरा शहर और पूरे जिले से माले नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थक अपने साथी बुधराम पासवान को अंतिम विदाई देने आरा पार्टी कार्यालय में जुटने लगे थे। का. कृष्णदेव यादव, का. नंदकिशोर प्रसाद, का. मीना तिवारी, का. कुणाल, का. सुदामा प्रसाद, का. जवाहरलाल सिंह, का. असलम, राजू यादव, अजित कुशवाहा समेत तमाम नेताओं-कार्यकर्ताओं ने दिवंगत बुधराम पासवान के शव पर माल्यार्पण किया। उसके बाद एक मिनट का मौन रखा गया और श्रद्धांजलि सभा की गई।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए राज्य सचिव का. कुणाल ने कहा कि सामंती-सांप्रदायिक-अपराधी ताकतें गरीबों, मजदूर-किसानों की आवाज को दबा देना चाहती हैं।  यही ताकतें अतीत में गरीब-मेहनतकशों को वोट नहीं डालने देती थीं। जनता ने जब संघर्ष और शहादत के बल पर वोट का अधिकार हासिल किया और अपने संघर्षों के साथियों को जनप्रतिनिधि के तौर चुनने लगी, तो जनता को आतंकित करने के लिए सामंती-सांप्रदायिक-अपराधी ताकतें उनका जनसंहार करने लगीं। जब जनसंहार से भी जनता की संगठित ताकत को तोड़ना संभव नहीं हुआ, तो अब ये ताकतें उनके नेताओं को निशाना बनाने लगी हैं। इस चुनाव में भाकपा-माले के पक्ष में बढ़ती गोलबंदी को तोड़ने के लिए ही सुनियोजित तरीके से का. बुधराम पासवान की हत्या की गई है। जिले के बेहतर माहौल को ये ताकतें बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं। बुधराम पासवान की हत्या के एक दिन पहले पीरो में एक नौजवान कोचिंग चालक अकबर खां की हत्या करके उसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई।
का. कुणाल ने कहा कि हत्यारों ने सामंती-सांप्रदायिक और अपराधी गिरोहों की लूट और अन्याय की राजनीति को बरकरार रखने के लिए यह हत्या की है और सोचा है कि ऐसा करके वे गरीब-मेहनतकश, ईमानदार व न्यायपसंद-लोकतांत्रिक लोगों की जीत की प्रबल संभावना को खत्म कर देंगे। लेकिन का. बुधराम पासवान की यादें और विरासत हमारे साथ है, उसके बल पर हम उनके अधूरे सपनों और अरमानों को पूरा करेंगे। आरा से माले की जीत निश्चित तौर पर होगी और इस हत्या के लिए जिम्मेवार अपराधियों और इसके पीछे की राजनीतिक साजिश को करारा जवाब मिलेगा। उन्होंने शोक को शक्ति में बदल देने का आह्वान किया।
का. कृष्णदेव यादव ने कहा कि का. बुधराम पासवान नए हिंदुस्तान के सपने के लिए संघर्ष करते हुए शहीद हुए हैं। उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी। 1993 में भूमि आंदोलन के दौरान पुलिस दमन के शिकार साथियों की बुधराम जी ने किस तरह पूरे एक माह तक सेवा-सुश्रुषा की थी, इसे का. जवाहरलाल सिंह ने याद किया और कहा कि वे बेहद समर्पित पार्टी कामरेड थे। अपने संवेदनशील व्यवहार के कारण वे पार्टी के साथ-साथ आम जनता में बेहद प्रिय थे। श्रद्धांजलि सभा को राज्य कमेटी सदस्य का. सुदामा प्रसाद, इनौस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. असलम, माले प्रत्याशी का. राजू यादव, रोहतास के जिला सचिव संजय, दिल्ली राज्य कमेटी के सदस्य श्याम किशोर यादव, भोजपुर जिला कमेटी सदस्य का. क्यामुद्दीन, आरा नगर कमेटी सदस्य का. राजनाथ राम ने भी संबोधित किया। श्रद्धांजलि सभा का संचालन आरा नगर सचिव का. दिलराज प्रीतम ने किया।
श्रद्धांजलि सभा के बाद का. बुधराम पासवान की अंतिम यात्रा निकली, जो नवादा, शिवगंज, गोपाली चैक, गोला होते हुए गांगी स्थित श्मशान पहुंची। का. बुधराम पासवान का शव एक गाड़ी पर रखा हुआ था, जिसके पीछे कें्रद्रीय और राज्य स्तर के नेता थे, उनके बाद जिला कमेटी के सदस्य तथा दूर-दराज से आए तमाम माले नेता, कार्यकर्ता और समर्थक। आइसा राज्य कमेटी सदस्य का. अजित कुशवाहा का. बुधराम जी के योगदान के बारे में उद्घोषणा कर रहे थे। शेष सारे लोग मौन थे। आरा शहर में दो साल पहले गरीबों के जनसंहार रचाने वाले एक सरगना की हत्या के बाद समर्थकों ने तांडव दिया था, लेकिन आज माले नेता की शवयात्रा में शामिल लोगों के चेहरे पर अद्भुत संयम, शोक और संकल्प का भाव दिख रहा था। शवयात्रा जहां से भी गुजर रहा था, वहां आम लोग अत्यंत खामोशी के साथ माले नेता के शव और मौन जुलूस को देख रहे थे। बीच-बीच में कई लोग जुलूस में शामिल भी हो जा रहे थे। चारों ओर शोक पसरा हुआ नजर आ रहा था। का. बुधराम पासवान को अग्नि के हवाले करते वक्त हजारों लोग मौजूद थे।

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