Tuesday, April 22, 2014

शायर और साक्षरताकर्मी फराज नजर ‘चांद’ को जसम की श्रद्धांजलि


जन संस्कृति मंच 

20 अप्रैल 2014

दैनिक आज 
दैनिक हिंदुस्तान 
शायर फराज नजर ‘चांद’ का निधन भोजपुर की प्रगतिशील-जनवादी साहित्यिक-सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। फराज नजर चांद अपने कम्युनिस्ट पिता का. रफीक के जीवन मूल्यों के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रहे। आम अवाम की तरह ही अभाव, मुश्किलों और संघर्षों में उनका जीवन गुजरा। एक बेहतर दुनिया और व्यवस्था के निर्माण के सपनों के प्रति उनकी आस्था कभी खत्म नहीं हुई। उसी के तसव्वुर के साथ वे अपनी गजलें लिखते रहे। भोजपुर के साक्षरता अभियान में उन्होंने बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाई। फराज नजर ‘चांद’ हमारी गंगा जमुनी तहजीब के नुमाइंदे थे। उनका निधन आरा शहर में सांप्रदायिक सौहार्द के प्रति समर्पित तमाम लोगों के लिए भी एक बड़ी क्षति है।
फराज नजर ‘चांद’ की शायरी तो उनकी याद दिलाएगी ही, अपनी सरलता और सादगी के लिए भी वे हमेशा याद आएंगे। उनकी शख्सियत साधारण जनता की तरह ही सहज, सरल और जीवटता से भरपूर थी। साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता को वे  सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का बहुत ताकतवर जरिया समझते थे और वामपंथी आंदोलन से यह उम्मीद करते थे कि वह इसे ज्यादा मजबूत बनाए। उन्हें जब भी मौका मिला, तो नियमित रूप से अखबारों के लिए भी लेखन कार्य किया। हाल के दिनों में उन पर फालिज का आघात हुआ था और वे कोमा में चले गए थे। 
फराज नजर ‘चांद’ भाकपा और प्रलेस से जुड़े हुए थे। उनको जन संस्कृति मंच अपने एक ऐसे दोस्त लेखक के रूप में याद करता है, जिन्होंने अपनी रचनात्मक ऊर्जा के साथ ही साथ हमेशा अपने बहुमूल्य सुझावों से भी संगठन को समृद्ध किया। जनकवि भोला, जब तक जीवित थे, तब तक उनकी पान की दूकान पर अक्सर शाम में फराज साहब मिल जाते थे। आंखों में एक आत्मीय चमक और होठों पर प्यारी मुस्कान वाले फराज नजर ‘चांद’ बहुत याद आएंगे। खासकर जनकवि गोरख पांडेय की स्मृति में आरा हर साल आयोजित होने वाले नुक्कड़ काव्य गोष्ठी ‘कउड़ा’ में उनकी कमी बहुत खलेगी। वे हर आयोजन में शामिल होते थे, लेकिन ‘कउड़ा’ में खास तौर पर अपनी गजल के साथ मौजूद रहते थे। 
फराज नजर ‘चांद’ के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जाहिर करते हुए हम जन संस्कृति मंच की ओर से उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि देते है। वे हमेशा हमारी स्मृतियों में रहेंगे। 
श्रद्धांजलि देने वालों  में जसम के राज्य अध्यक्ष रामनिहाल गुुंजन, कथाकार मधुकर सिंह, जनपथ के संपादक अनंत कुमार सिंह, कवि-आलोचक जितेद्र कुमार, कथाकार सुरेश कांटक, रंगकर्मी डाॅ. विंद्येश्वरी, सुधीर सुमन, कवि ओमप्रकाश मिश्र, कवि सुनील श्रीवास्तव, कवि सुमन कुमार सिंह, संस्कृतिकर्मी शमशाद प्रेम, चित्रकार राकेश दिवाकर, कवि सुनील चैधरी, आशुतोष पांडेय, रंगकर्मी अरुण प्रसाद, गायक राजू रंजन, रंगकर्मी अमित मेहता आदि प्रमुख हैं। 

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