Wednesday, April 16, 2014

मतदान का समय घटाना एक राजनीतिक साजिश है: का. कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा-माले



मतदान का समय घटाने का निर्णय वापस लेने की मांग की माले ने
भाजपा के इशारे पर जिला प्रशासन ने गरीबों को मतदान से वंचित करने की साजिश की है: का. कुणाल

आरा: 15 अप्रैल 2014
जिला प्रशासन की अनुशंसा पर आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन यहां के दो विधानसभाओं- अगिआंव विधानसभा और तरारी विधानसभा क्षेत्र में मतदान का समय दो घंटा कम किए जाने को भाकपा-माले के राज्य सचिव का. कुणाल ने गरीब मतदाताओं को मतदान से वंचित करने की भाजपाई साजिश करार दिया है। का. कुणाल ने कहा है कि यह निर्णय घोर आश्चर्यजनक और लोकतंत्रविरोधी है। तरारी और अगिआंव की जनता भारी संख्या में मतदान करके इस साजिश का करारा जवाब देगी। 
का. कुणाल ने कहा है कि माले प्रत्याशी के चुनाव अभिकर्ता ने यहां के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी से इसके संदर्भ में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें क्षेत्र के बारे में जानकारी नहीं है, उन्हें किसी ने बताया कि ये क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित हैं, इसलिए यहां मतदान का समय दो घंटा कम करने की अनुशंसा की गई। सवाल यह है कि अगर उन्हें इस क्षेत्र की जानकारी नहीं थी, तो उन्होंने पार्टियों के साथ इसके संदर्भ में बैठक क्यों नहीं की? यह बड़ी आबादी को मतदान से वंचित करने की राजनैतिक साजिश है। भोजपुर जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग को भी गुमराह करने का काम किया है।
दैनिक हिंदुस्तान १६ अप्रैल 
का. कुणाल ने बताया है कि इस मामले में केन्द्रीय चुनाव आयोग और बिहार के मुख्य चुनाव पदाधिकारी के पास विरोध पत्र भेजा गया है और आरा आरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक को भी इससे अवगत कराया गया है कि अगिआंव और तरारी विधानसभा क्षेत्र में कभी मतदान प्रक्रिया को बाधित करने की कोई घटना नहीं घटी है, कभी भी यहां मतदान कराने गए अधिकारियों या कर्मचारियों पर कोई हमला नहीं हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में अगिआंव विधानसभा से भाजपा तथा तरारी विधानसभा से जद-यू के विधायक चुने गए हैं। फिर किस आधार पर इन विधानसभाओं को उग्रवाद प्रभावित बताकर मतदान का समय कम किया गया? क्या इन दोनों विधानसभाओं में प्रशासन सभी लोगों का मतदान सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त पोलिंग बूथों की व्यवस्था करेगा?
का. कुणाल ने कहा कि इन दोनों  विधानसभाओं में सामंती ताकतें गरीबों को वोट देने नहीं देती थीं। गरीबों ने लड़कर और शहादतें देकर यह अधिकार हासिल किया। अब सामंती ताकतें उन्हें वोट देने से रोक नहीं पा रही हैं, तो प्रशासन के जरिए रोकने की कोशिश कर रही हैं। जैसा कि सबको पता है कि भाजपा उम्मीदवार आर.के सिंह केंद्रीय गृह सचिव थे। लिहाजा नौकरशाही और खुफिया तंत्र से इनके गहरे रिश्ते हैं। उन्होंने इसी प्रभाव का इस्तेमाल करके गरीबों को वोट से वंचित करने की साजिश रची है।  
का. कुणाल ने कहा है कि एक ओर निर्वाचन आयोग के जरिए अधिक से अधिक लोगों के मतदान के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर दो विधानसभाओं में मतदान का समय कम करके अनेक मतदाताओं को मतदान से वंचित करने की कोशिश की जा रही है। यह तो निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की चुनाव आयोग की भावना का ही मजाक उड़ाने के समान है। यह पूरे भोजपुर के लिए भी भेदभावपूर्ण कार्रवाई है। 
का. कुणाल ने बताया कि माले ने केद्रीय निर्वाचन आयोग से अगिआंव और तरारी में मतदान का समय दो घंटा कम करने के निर्देश को वापस लेने की मांग की है। 

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