Wednesday, April 16, 2014

देश पर तानाशाही थोपने की साजिशों के खिलाफ भोजपुर लड़ाई का रास्ता दिखाएगा : का. दीपंकर

आरा में का. दीपंकर 
उम्र नहीं, बल्कि अपने समय के संकटों से लड़ने की हिम्मत और इच्छाशक्ति असल चीज़ है : का. दीपंकर भट्टाचार्य 
माले प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में का. दीपंकर की सभाएं 

आरा/गड़हनी/ अगिआंव बाजार/ तरारी
14 अप्रैल 2014
‘भोजपुर ने इतिहास के हर मोड़ पर रास्ता दिखाया है, इस वक्त मोदी के नेतृत्व में सामंती-सांप्रदायिक उन्माद और कारपोरेट लूट की ताकतें देश पर तानाशाही थोपने की जो साजिशें रच रही हैं, उसके खिलाफ भोजपुर ही फिर रास्ता दिखाएगा।’ भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज तरारी, अगिआंव बाजार, गड़हनी और आरा में माले प्रत्याशी राजू यादव के समर्थन में आयोजित चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए यह कहा। 
सहारा 
यह दैनिक हिंदुस्तान की कतरन है,
जो अपने को बिहार का नंबर-1
अखबार कहता है. 14 अप्रैल को चार जगह सभाएं हुईं,
जिसकी यह छोटी सी खबर है. फोटो नहीं छापा गया
का. दीपंकर ने कहा कि भाजपा-कांग्रेस की नीतियां इस देश के किसान-मजदूरों, छोटे दूकानदारों, आदिवासियों, महिलाओं, छात्र-नौजवानों सबके खिलाफ हैं। ये विकास के नाम पर विनाश में लगे हुए हैं। इस देश में जिंदा रहने के लिए नीतियों को बदलने की मजबूत लड़ाई लड़नी होगी, विकास की दिशा को गरीबों की ओर मोड़ना होगा। उन्होंने नीतीश कुमार पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि वे जनता से मेहनताना मांगते फिर रहे हैं, लेकिन उन्हें तो सड़क में गड्डों, फर्जी बिजली बिल, राशन-किरासन, मनरेगा घोटाला आदि के लिए जुर्माना भरना चाहिए। 
आरा सभा में माले प्रत्याशी राजू यादव 
का. दीपंकर ने विरोधी उम्मीदवारों के अनुभवी होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोग बताते हैं कि अस्सी के दशक में भाजपा उम्मीदवार जब पटना के डीएम थे, तो उन्होंने आंदोलनकारी छात्रों पर जबर्दस्त लाठीचार्ज करवाया था। जब वे गृहसचिव रहे, तो जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कानून व्यवस्था को सुधारने के बजाए राजनीतिक साजिश के तहत निर्दोष नौजवानों को फर्जी मुकदमों में फंसाया गया। यहां तक कि जब अफजल को फांसी दी गई, तो इन्होंने अफजल के परिवार वालों को सूचना तक नहीं दी, जबकि अंग्रजों के शासन में भी इस हद तक संवेदनहीनता नहीं बरती जाती थी। 
जद-यू की उम्मीदवार बारे में उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में वे क्षेत्र में गई ही नहीं, यही उनका अनुभव है। राजद उम्मीदवार के बारे में कहा कि लाल झंडा और जनता के आंदोलनों से गद्दारी करके वे राजद में गए, जब राजद को गर्दिश में देखा, तो वहां से जद-यू में चले गए, अब फिर राजद में लौटे हैं, लोगों का यही कहना है कि अब एक पार्टी भाजपा उनके लिए बची है, इनका कोई भरोसा नहीं है। कुर्सी के दलबदल का यह अनुभव भोजपुर की जनता के किस काम आएगा? 
आरा में चुनावी सभा 
का. दीपंकर ने कहा कि उम्र कोई मायने नहीं रखता, असल चीज है कि अपने समय के संकट से लड़ने की हिम्मत, ताकत और इच्छा शक्ति है या नहीं। यह भगत सिंह का मुल्क है, जिन्होंने इस देश की आजादी और जनता के राष्ट्र-निर्माण का सही रास्ता दिखाया और जो मात्र 23 साल में शहीद हो गए, जो हमारे राष्ट्रनायक हैं। जरूरत पड़ी तो इसी भोजपुर के कुंवर सिंह ने 80 साल की उम्र में भी अंगरेजों के खिलाफ आजादी की जंग छेड़ दी थी। यहीं 1942 मेें लसाढ़ी के किसानों ने आजादी के लिए लड़ते हुए शहादत दी थी, जिस गौरवशाली इतिहास को याद रखने के लिए का. रामनरेश राम ने विधायक बनने के बाद उन शहीदों का स्मारक बनवाया। आजादी के बाद भी जब दलितों-पिछड़ो, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और गरीबों का उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिला, तब का. जगदीश मास्टर, रामेश्वर यादव और रामनरेश राम ने सामंती धाक के खिलाफ लड़ाई शुरू की। फिर अस्सी के दशक में गरीबों के वोट के अधिकार के लिए जबर्दस्त लड़ाई भी इसी भोजपुर में हुई, जिसे रोकने के लिए सामंती ताकतों ने जनसंहार किए, पर लोगों ने वोट देने के अधिकार को हासिल किया। 90 के दशक में जब गरीबों की राजनीतिक दावेदारी को रोकने के लिए जनसंहारों का सिलसिला शुरू कर दिया गया, तब भी भोजपुर की संघर्षशील चेतना को कुचलना संभव नहीं हुआ। माले प्रत्याशी राजू यादव भोजपुर की इसी संघर्षशील चेतना और परंपरा के नुमाइंदे हैं। 
आरा सभा में वक्तागण
अंबेडकर जयंती के मौके पर आज उनको याद करते हुए का. दीपंकर ने कहा कि उन्होंने जो संविधान बनाया, वह संविधान और लोकतंत्र खतरे में है। भाजपा एक ओर अडानी, अंबानी, जिंदल, मित्तल, पोस्को जैसी देशी-विदेशी पूंजीपतियों और कंपनियों को  किसानों की खेती की जमीन, खनिज, तेल, गैस, जल, जंगल लूटने की छूट के लिए सरकार बनाना चाहती है, तो दूसरी ओर ये दंगाई ताकतें देश को बांटने में लगी हुई हैं। भाजपा ऐसी सरकार बनाना चाहती हैं, जहां किसान-मजदूरों के बजाए पूंजीपतियों की बात सुनी जाएगी। इस देश में आरएसएस, अंबानी-अडानी, अमेरिका का मोर्चा बना है। माले ने इस मोर्चे के खिलाफ किसान-मजदूरों, नौजवानों, मां-बहनों, गरीबों, तरक्कीपसंद, लोकतंत्र पसंद और इंसाफ में आस्था रखने वाले लोगों का मोर्चा बनाया है, आरा में यह मोर्चा भाजपा के खूनी मोर्चे पर भारी पड़ेगा। 
उन्होंने कहा कि भाजपा पूरे देश में साजिशें रच रही है। 23 मार्च की सुबह भगतसिंह की शहादत दिवस पर का. बुधराम पासवान का शव मिलने से पूरे भोजपुर में सन्नाटा था, उस रोज माले को अपने उम्मीदवार का नामांकन स्थगित करना पड़ा, लेकिन उसी रोज भाजपा का नामांकन हुआ। उन्होंने कहा कि साजिश सिर्फ माले के साथ ही नहीं हो रही, बल्कि एक दिन पहले पीरो में नौजवान कोचिंग संचालक अकबर खां की भी हत्या हुई। एक ओर गरीबों के मान-सम्मान व हक-अधिकार के लिए लड़ने वाले बुधराम पासवान थे, तो दूसरी ओर गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने और लड़कियों के साथ होने वाले छेड़छाड़ का विरोध करने वाले लोकप्रिय शिक्षक अकबर खान। दोनों राजनीतिक साजिशों के शिकार हुए। ऐसी ही अनेक साजिशों का नाम भाजपा और मोदी है। 
सभाओं को पूर्व सांसद रामअवधेश सिंह, माले केंद्रीय कमेटी सदस्य कृष्णदेव यादव, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, माले प्रत्याशी राजू यादव ने भी संबोधित किया। तरारी में सभा की अध्यक्षता खेमस के जिला सचिव का. कामताप्रसाद सिंह और अगिआंव बाजार मे अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव का. चंद्रदीप सिंह ने की। गड़हनी में का. रघुवर पासवान और आरा में दिलराज प्रीतम ने सभा का संचालन किया। 

1 comment: