Monday, April 7, 2014

किसान-मजदूरों के हक में नीतियां बनाने का संघर्ष माले ही कर सकती है: कृष्णदेव यादव


जो पूंजीपतियों के हित मे आम जनता को आतंकित कर रहे, उनको मतदाता शिकस्त दें: कृष्णदेव यादव

आरा: 5 अप्रैल 2014
भाकपा-माले के केंद्रीय कमेटी के सदस्य का. कृष्णदेव यादव ने आज शाहपुर विधान सभा क्षेत्र के चारघाट और रुद्रपुर में लोकसभा चुनाव में माले प्रत्याशी राजू यादव की पक्ष में चुनावी जनसभाएं कीं। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में 23 साल की उम्र में शहादत देने वाले महान इंकलाबी और विचारक भगतसिंह ने छात्र-नौजवानों से कहा था कि किसान और मजदूर ही इंकलाब की असली ताकत हैं, उन्हें संगठित करो। उनकी ताकत के बल पर ही हम एक आजाद और समाजवादी देश बना सकते हैं। लेकिन इस देश की शासकवर्गीय पार्टियों ने किसान-मजदूरों की ताकत को कमजोर किया और साम्राज्यवादी और पूंजीवादी ताकतों से गठजोड़ बनाए रखा, समाज के सामंती ढांचे को खत्म करके उसे जनतांत्रिक नहीं बनाया। मगर भोजपुर ने इंकलाब के लिए अपनी शहादत देने वालों को याद रखा और सत्तर के दशक में वास्तविक जनतंत्र के लिए जुझारू संघर्ष शुरू किया। सत्तर के दशक के नौजवानों ने भोजपुर को इंकलाब की जमीन के रूप में सारी दुनिया में मशहूर कर दिया। आज शासकवर्गीय राजनीति जिस पतन के कगार पर पहुंच गई है, उससे मुक्ति का रास्ता भी भोजपुर के छात्र-नौजवान और मजदूर किसान ही दिखा रहे हैं। माले प्रत्याशी राजू यादव इन्हीं परिवर्तनकामी ताकतों के प्रतिनिधि हैं। 
का. कृष्णदेव यादव ने कहा कि मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पूंजीवादी घराने आतुर हैं। उन्हें लगता है कि उनके प्रधानमंत्री बनने से उनको किसानों, आदिवासियों की जमीन और देश के प्राकृतिक संसाधनों को हड़पने में आसानी होगी। गुजरात में उन्होंने उनको लूट की जैसी छूट दी है वैसी ही उनको पूरे देश में छूट मिल जाएगी। मोदी चुनाव में जीत के लिए खुलकर सांप्रदायिक-सामंती घृणा भड़का रहे हैं, बिहारी नौजवानों को प्रताडि़त करने वाली क्षेत्रीय उन्माद की ताकतों के साथ एकता बना रहे हैं। भारतीय जनता की एकता को तोड़कर पूंजीपतियों के हाथ देश बेचने की इस भाजपाई साजिश को उन्हें चुनाव में शिकस्त देकर करारा जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की असली समस्या आतंकवाद नहीं है, बल्कि आतंकवाद की आड़ में पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय जनता पर जो शासकीय आतंक ढाया जा रहा है, उससे निबटने का सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण है। 
सत्रह साल तक बिहार में भाजपा को मजबूत बनाने वाली जद-यू और अब लोजपा तथा कांग्रेस के आगे समर्पण कर चुकी राजद, जो खुद बिखराव का शिकार है, वह भाजपा को नहीं रोक सकती। कांग्रेस की राजनीति भाजपा की खतरनाक राजनीति का विकल्प नहीं हो सकती, यह साबित हो चुका है। भाजपा नाम भले विकास का ले रही है, लेकिन बिहार में जद-यू के साथ सरकार में रहते हुए वह लगातार जनता के सवालों से भागती रही और जनता के तमाम आंदोलनों के दमन में साझीदार रही। अकेले भाकपा-माले है, जो किसान, मजदूरों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं के सवालों पर लड़ती रही है। हाल में बिजली की कीमत में प्रस्तावित वृद्धि और सरकार की शराब नीति के खिलाफ माले ने जोरदार आंदोलन किया। सोन नहर के आधुनिकीकरण, नहरों की उड़ाही, डीजल अनुदान, धान क्रय केंद्र खुलवाने, बंटाईदार किसानों के धान की भी खरीद के लिए माले ने आंदोलन किया है। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत तमाम मुद्दों पर माले ही संघर्ष चला रही है। जाहिर है कि माले के प्रत्याशी राजू यादव की जीत होगी, तो इन मुद्दों पर संसद में आवाज उठेगी। आम किसानों और मजदूरों की स्थिति को बेहतर बनाने का एकमात्र विकल्प यह है कि चुनाव में माले को विजयी बनाया जाए।
अशोक कुमार सिंह, भाकपा-माले जिला कार्यालय द्वारा जारी 


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