Monday, April 7, 2014

घर-घर मोदी नहीं, घर-घर रोटी की जरूरत: दीपंकर भट्टाचार्य




लोग आर्थिक नीतियों की मार झेल रहे हैं, इन नीतियों को बदलना होगा: दीपंकर भट्टाचार्य
हत्या और विनाश के गुजरात माॅडल को विकास नहीं कहना चाहिए: कविता कृष्णन
माले प्रत्याशी राजू यादव को विजयी बनाने की जनता से अपील की गई 
संदेश/अजीमाबाद/ सहार
29 मार्च 2014
भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज आरा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से भाकपा-माले के युवा प्रत्याशी राजू यादव के पक्ष में संदेश, अजीमाबाद और सहार में चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज घर-घर मोदी नहीं, बल्कि घर-घर रोजी और घर-घर रोटी की जरूरत है। मोदी के एक रथ का पहिया आरएसएस का है, जिसका काम दंगा करना और सांप्रदायिक उन्माद फैलाना है, और दूसरा पहिया अंबानी, अडानी, जिंदल-मित्तल, टाटा जैसे पूंजीपति घरानांे का है, जो हमारे जल-जंगल-जमीन और बाजार पर कब्जा कर लेना चाहते हैं। का. दीपंकर ने कहा कि किसान-मजदूर, छात्र-नौजवान जीवन के जिन संकटों को झेल रहे हैं, वह कोई प्रकृति की मार नहीं है, बल्कि महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी सत्ता और आर्थिक नीतियों की मार की वजह से है। माले उम्मीदवार इन्हीं सारे सवालों पर संघर्ष करते रहे हैं और संसद में जाकर इन्हीं सवालों पर नीतियों को बदलने की लड़ाइ्र्र लड़ेंगे। 
का. दीपंकर ने सेवानिवृत होकर तुरत किसी पार्टी का उम्मीदवार बनने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे लोग जब प्रशासन में रहते हैं, तो निश्चित तौर पर निष्पक्ष नहीं रहते होंगे। उन्होंने आरा के एक और उम्मीदवार की दलबदलू प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो सिर्फ खाने-पकाने की, स्वार्थ की राजनीति करते रहे हैं, वे भला सांसद बनकर जनता का भला कैसे कर पाएंगे?
का. दीपंकर ने राज ठाकरे और भाजपा के गठबंधन पर भी सवाल उठाया और कहा कि जो लोग बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के नौजवानों को मारते हैं, उन्हें बिहार के नौजवान क्यों वोट देेंगे? यह दोरंगी नीति चलेगी। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में माले ने भी एक मोर्चा बनाया है, जो किसान-मजदूरों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं, छोटे दूकानदारों, कर्मचारियों का मोर्चा है। माले के उम्मीदवार राजू यादव छात्र राजनीति से आए हैं और लोकतंत्र-इंसाफ के लिए लड़ने वाले सिपाही हैं। 
पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि जो सामंती ताकतें बिहार को पिछड़ा बनाए हुए हैं, वे आज भी बिहार के गरीबों, दलितों, अल्संख्यकों, मजदूरों और महिलाओं को अपने जूते तले दबाए रखने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात विकास नहीं, बल्कि हत्या का माॅडल है और जिसकी शुरुआत भाजपा ने बिहार में गरीबों, दलित-अल्पसंख्यक, महिलाआंे और बच्चों की हत्या करके की थी। उन्होंने कहा कि भाजपा के पक्ष में काम करने का मतलब सांप्रदायिक, सामंती-महिला विरोधी ताकतों की जीत होगी। निश्चित तौर पर कांग्रेस और नीतीश सरकार से लोगों में गुस्सा है, उन्हें विकल्प की तलाश है, लेकिन विकल्प भाजपा नहीं हो सकती। विनाश को विकास नहीं कहा जा सकता। केंद्रीय कमेटी सदस्य कृष्णदेव यादव ने कहा कि बिहार में अब सीधी लड़ाई है। सामंती-सांप्रदायिक ताकतों के उन्माद, उत्पात, अन्याय के खिलाफ लालू, नीतीश और रामविलास नहीं लड़ सकते। उनके साथ जाकर विकास का दावा करने वाले जनता को छलने का काम करते रहे हैं। जनता की लड़ाई का सही रास्ता वह रास्ता है, जिसे भोजपुर में जगदीश मास्टर, रामेश्वर यादव, रामनरेश राम और हाल में शहीद बुधराम पासवान दिखा गए हैं। 
माले प्रत्याशी राजू यादव ने कहा कि सांसद बनने के बाद वे डेढुंआ पंप योजना समेत सिंचाई के तमाम साधनों को दुरुस्त करने, कृषि कार्य के लिए तथा गरीबों को निःशुल्क बिजली, कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने तथा बेरोजगार नौजवानों को रोजगार भत्ता दिलवाने के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने गरीबों-छात्र-नौजवानों, किसान-मजदूरों की गोलबंदी को तोड़ने की सांप्रदायिक-सामंती साजिशों से सावधान रहने की अपील की। 
संदेश में माले राज्य कमेटी सदस्य का. सुदामा प्रसाद और जाकिर हुसैन, अजीमाबाद में विमल यादव, उपेंद्र सिंह, सतीश यादव तथा सहार में कामता प्रसाद सिंह, मदन सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। संदेश में सभा की अध्यक्षता प्रखंड सचिव का. परशुराम सिंह, अजीमाबाद में दसईं राम और सहार में रामकिशोर राय ने किया। 

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