Sunday, January 11, 2015

का. सुफियान के आठवें शहादत दिवस पर 'संकल्प सभा' का पर्चा


फिरकापरस्त-फासीवादी राजनीति को शिकस्त दो
बेहतर व्यवस्था के लिए संघर्षशील अवाम की एकता कायम करो
इंसाफ, अमन और सामाजिक-आर्थिक बराबरी की जंग तेज करो

का. सुफियान के आठवें शहादत दिवस पर
संकल्प सभा

13 जनवरी 2015, समय- 12 बजे दिन, स्थान- अबरपुल, आरा


नागरिक बंधुओ,

आज से सात वर्ष पहले अपराधियों ने का. सुफियान की हत्या कर दी थी। अपराधियों और हत्यारों को उन शासकवर्गीय राजनीतिक पार्टियों का संरक्षण मिलता रहा, जो सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का सिर्फ पाखंड करती हैं,, लेकिन जिन्होंने अपनी जनविरोधी कारगुजारियों के कारण आरा और बिहार ही नहीं, पूरे देश में फिरकापरस्त-फासीवादी राजनीति के लिए आगे बढ़ने की जमीन तैयार की। इसके विपरीत का. सुफियान जमीनी स्तर पर सांप्रदायिकता और अपराध के खिलाफ जुझारू जंग लड़ते रहे। वे ऐसे इंसान थे, जिन्हें हिंदू-मुस्लिम भाईचारा और आम नागरिकों की सुरक्षा की फिक्र थी। तीन-तीन बार आरा शहर में दंगे भड़काने की साजिश की गई, लेकिन का. सुफियान ने हर बार हिंदू-मुस्लिम अवाम की एकजुटता को संभव किया और सड़कों पर उतरकर उन साजिशों को नाकाम किया। 

देश की आजादी की लड़ाई के दौरान हिंदू-मुस्लिम अवाम ने एक होकर ब्रिटिश साम्राज्यवाद और उनकी दमनकारी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया था, अपने समय में का. सुफियान उसी परंपरा को जीवित रखने वाली इंकलाबी धारा के नुमाइंदे थे। यह बेवजह नहीं था कि रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला की ‘साझी शहादत साझी विरासत’ की चेतना से लोगों को उन्होंने लैस करने की कोशिश की। जिन्होंने इस देश में कभी बुश को बुलाया था और जो अब गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के स्वागत की तैयारियां कर रहे हैं, का. सुफियान उन जैसों के विरोधी थे। उनके भीतर गरीब-मेहनतकश जनता का स्वाभिमान था। जनता के ऐसे ही स्वाभिमान के बल पर किसी राष्ट्र की संप्रभुता और स्वतंत्रता कायम रहती है। का. सुफियान शहीद-ए-आजम भगतसिंह के अनुयायी थे, जिन्होंने जनता की वर्गीय एकजुटता को सांप्रदायिकता और साम्राज्यवादविरोध के लिए जरूरी बताया था। 

का. सुफियान हमेशा आरा में दबे-कुचले-पिछड़े-दलित समुदायों और अकलियतों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए चल रहे आंदोलनों में शामिल रहे। विडंबना यह है कि अकलियतों की खराब जीवन दशा के बारे में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के बजाए उनके खिलाफ नफरत की सियासत को तरह-तरह की साजिशों, अफवाहों के जरिए लगातार हवा दी जाती रही है। अमेरिकन साम्राज्यवाद की रणनीति की तर्ज पर अपने देश में भी मुसलमानों की पहचान आतंकवादी के बतौर कायम करने की हरसंभव कोशिश की गई है। बेगुनाह नौजवानों को आतंकवाद के फर्जी मुकदमों में कई-कई वर्षों तक जेल में बंद रखा जाता है, कोर्ट के कैंपस में उनकी हत्याएं की जाती हैं, आरएसएस से जुड़े सांप्रदायिक लोगों द्वारा नकली दाढ़ी-मूंछ लगाकर आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। अभी हाल में गुजरात में आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर जो माॅक ड्रील की गई, उसमें आतंकवादियों की भूमिका करने वालों को मुस्लिम वेशभूषा धारण करवाया गया था। मुसलमानों को बदनाम करने की ऐसी तमाम साजिशों का एक मुकम्मल जवाब हैं का. सुफियान। गरीब-मेहनतकश आम अवाम की इंकलाबी ताकत की पहचान हैं का. सुफियान।

बहुत ही कम उम्र में दर्जी यूनियन के जरिए का. सुफियान ने गरीब-मेहनतकशों के हक-अधिकार की लड़ाई की शुरुआत की थी। जीवनयापन के लिए कई छोटे-मोटे काम करते हुए उन्होंने ताउम्र भाकपा-माले के परचम को थामे रखा। हिंदू राष्ट्र का सपना दिखाकर पूंजीपतियों और कालेधंधे वालों का हित साधने वाले हों या सामाजिक न्याय, सेकुलरिज्म और सुशासन का पाखंड करने वाले, का. सुफियान  ने इन सबका विरोध किया। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की साठगांठ से होने वाली लूट का विरोध किया और जब वार्ड के चुनाव में वे जनप्रतिनिधि के रूप में चुने गए, तो यह दिखाया कि ईमानदारी से किस तरह विकास किया जाता है। 

नागरिक बंधुओ, देश एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है, केंद्र की मोदी सरकार जनता को विकास और अच्छे दिन का झांसा देकर देश के प्राकृतिक संसाधनों, जल-जंगल, किसानों-आदिवासियों की जमीन को देशी-विदेशी पूंजीपतियों को औने-पौने दामों में बेच रही है, आम जनता जिन खुदरा व्यवसायों या छोटे-मोटे धंधों के जरिए अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करती थी, उनको भी बड़ी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। इसके खिलाफ जनता में बढ़ रहा गुस्सा जबर्दस्त तूफान का रूप न ले ले, इसी मकसद से सरकार ने धर्म-संप्रदाय के नाम पर उन्माद और तनाव फैलाने वालों को खुली छूट दे दी है। बंधुओ, आज हमें सैकड़ो सुफियान की जरूरत है, जो लुटेरों-अपराधियों के चंगुल से अपने देश, शहर और समाज को बाहर निकाल सकें। आइए का. सुफियान के शहादत दिवस पर हम इस जंग को तेज करने और आम अवाम की बहुत बड़ी एकता कायम करने का संकल्प लें। 

निवेदक : भाकपा-माले, आरा नगर कमेटी

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