Wednesday, January 14, 2015

का. सूफियान के आठवें शहादत दिवस पर माले ने संकल्प सभा आयोजित की


फिरकापरस्त-फासीवादी राजनीति को शिकस्त देने का आह्वान
इंसाफ, अमन और सामाजिक-आर्थिक बराबरी के लिए एकताबद्ध संघर्ष का आह्वान


आरा: 13 जनवरी 2015 
स्थानीय अबरपुल मुहल्ले में भाकपा-माले, आरा नगर कमेटी की ओर से शहीद का. सुफियान के आठवें शहादत दिवस पर ‘सकल्प सभा’ का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता करते हुए अबरपुल के वरिष्ठ कामरेड क्यामुद्दीन उर्फ साधू जी ने कहा कि हिंदुस्तान में गरीबों की कोई सरकार नहीं है। केंद्र में मोदी की सरकार बनने के बाद पूंजीपतियों और दौलतवालों के अच्छे दिन आए हैं। लालू-नीतीश ने भी गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। ये सरकारें ऐसा माहौल बना रही हैं कि गरीब आपस में लड़कर खत्म हो जाएं। गरीबों के हक-अधिकार के लिए संघर्ष के जिस रास्ते पर का. सूफियान चले थे, उन्हीं के रास्ते पर चलकर उनकी समस्याओं का समाधान संभव है। 
इंसाफ मंच के मो. शहाबुद्दीन ने अबरपुल इलाके में जनता के हक-अधिकार के लिए का. सुफियान के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि उनकी हत्या करके अपराधियों ने जनता की ताकत और विकास के ख्वाब की हत्या करने की कोशिश की थी। आज इस इलाके की जो दुर्दशा है, वही सुफियान बनने की जरूरत को सामने ला रही है। 
निर्माण मजदूर यूनियन के का. बालमुकुंद चौधरी ने का. सुफियान के काम को आगे बढ़ाने के लिए मेहनतकशों की एकता और हिंदुस्तान पर उसकी दावेदारी को कायम करने की जरूरत पर जोर दिया। का. गोपाल प्रसाद ने याद किया कि का. सुफियान की हत्या के बाद आरा शहर के नागरिक आक्रोश में जिस भारी तादाद में जुटे थे, उस तरह किसी नेता या कार्यकर्ता की हत्या पर नहीं जुटते। यही इस बात का संकेत है कि का. सुफियान जनता की किस जरूरी लड़ाई को लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि तमाम शासकवर्गीय पार्टियां अपराध के खिलाफ बोलती हैं, पर अपराध बढ़ता ही जा रहा है। विधानसभाओं और संसद में अपराधी भरे पड़े हैं। 
मो. राजन ने कहा कि का. सुफियान एक अपराधमुक्त-शोषणमुक्त समाज के लिए लड़ रहे थे। वे चाहते थे कि विकास योजनाओं की लूट न हो, बल्कि उससे जनता का विकास हो। यही बात अपराधियों और उनके संरक्षक राजनीतिक ठेकेदारों को पसंद नहीं आई। 
एक्टू के नेता का. यदुनंदन चौधरी ने कहा कि आज जब गरीबों, श्रमिकों के अधिकारों को छिनने वाली केंद्र सरकार पूरे हिंदुस्तान में उन्माद पैदा करके ‘साझी विरासत’ की हत्या कर रही है, तब कुंवर सिंह-पीर अली और बिस्मिल-अशफाकउल्ला की साम्राज्यवादविरोधी संघर्ष की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए शहीद होने वाले का. सुफियान के सपनों को साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 
राष्ट्रीय सहारा 
संकल्प सभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता समकालीन जनमत के संपादक सुधीर सुमन ने कहा कि का. सूफियान ने जमीनी स्तर पर सांप्रदायिकता और अपराध के खिलाफ जुझारू जंग लड़ी। तीन-तीन बार आरा शहर में दंगे भड़काने की साजिश की गई, लेकिन का. सूफियान ने हर बार हिंदू-मुस्लिम अवाम की एकजुटता को संभव किया और सड़कों पर उतरकर उन साजिशों को नाकाम किया। उनके भीतर गरीब-मेहनतकश जनता का स्वाभिमान था। जनता के ऐसे ही स्वाभिमान के बल पर किसी राष्ट्र की संप्रभुता और स्वतंत्रता कायम रहती है। फिरकापरस्त-फासीवादी राजनीति को मेहनतकश जनता ही शिकस्त दे सकती है।
दैनिक हिंदुस्तान 
दैनिक जागरण जिसमें
साप्रदायिकता विरोध के
सारे संदर्भो को गायब
कर दिया गया.
का. सुधीर सुमन ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार जनता को विकास और अच्छे दिन का झांसा देकर देश के प्राकृतिक संसाधनों, जल-जंगल, किसानों-आदिवासियों की जमीन को देशी-विदेशी पूंजीपतियों को औने-पौने दामों में बेच रही है, आम जनता जिन खुदरा व्यवसायों या छोटे-मोटे धंधों के जरिए अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करती थी, उनको भी बड़ी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। इसके खिलाफ जनता का गुस्सा संगठित न हो, इसके लिए ही सरकार धर्म-संप्रदाय के नाम पर उन्माद और तनाव फैलाने वालों को खुली छूट दे रही है। आज के माहौल में हमें सैकड़ों सूफियान की जरूरत है, जो लुटेरों-अपराधियों और सांप्रदायिक गिरोहों के चंगुल से अपने देश, शहर और समाज को बाहर निकाल सकें।
                                                                           
संकल्प सभा का संचालन भाकपा-माले आरा नगर सचिव का. दिलराज प्रीतम ने किया। 
   
का. सुफियान के आठवें शहादत दिवस पर आयोजित ‘संकल्प सभा’ में पारित प्रस्ताव

प्रभात खबर की छोटी सी खबर जिसमें
मुख्य वक्ता का वक्तव्य ही गायब है.
1. आरा शहर में सांप्रदायिक सौहार्द, आम नागरिकों की सुरक्षा, दबे-कुचले-दलित-अकलियत अवाम के लोकतांत्रिक हक-अधिकार और विकास के लिए संघर्ष चलाने वाले का. सुफियान के हत्यारों को राजनीतिक संरक्षण देने वाली ताकतों  के खिलाफ संघर्ष का यह संकल्प सभा प्रस्ताव लेती है। यह पूरे नागरिक समाज का भी कर्तव्य बनता है कि वह जनता के हित में हमेशा संघर्ष के लिए तत्पर रहने वाले का. सुफियान के हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर दबाव बनाए। यह ‘संकल्प सभा’ चाहती है कि हत्यारों को सख्त सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई अपराधी गिरोह किसी जनआंदोलनकारी शख्सियत की हत्या करने का दुस्साहस न करें। 
2. धर्मांतरण और लव जेहाद के राजनैतिक दुष्प्रचार तथा आतंकवाद के फर्जी मामलों में अल्पसंख्यक नौजवानों की गिरफ्तारी नकली-दाढ़ी मूंछ लगाकर आतंकी कार्रवाई करके मुसलमानों पर इल्जाम मढ़ने के जिम्मेवार हिंदुत्ववादी संगठनों और पुलिस-खुफिया अधिकारियों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर कठोर सजाएं दी जाएं। 
3. गुजरात में आतंकवाद से मुकाबले के लिए किए गए माॅक ड्रील के दौरान आतंकवादी की भूमिका निभाने वालों मुस्लिम वेशभूषा धारण कराने वाले अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए और गुजरात सरकार व केंद्र सरकार इस कुकृत्य पर माफी मांगे। 
4. आतंकवाद की किसी भी घटना की निष्पक्षता से जांच की जाए और असली दोषियों को सजा दी जाए। आतंकवाद के आड़ में किसी एक संप्रदाय को बदनाम करने की तमाम राजनीतिक साजिशें बंद की जाएं। गुजरात के अक्षरधाम से लेकर देश के कई हिस्सों में आतंकवाद की घटनाओं में फंसाए गए नौजवानों की दस-दस वर्षों बाद रिहाई हो चुकी है। लिहाजा उन पर आरोप लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। 
5. मीडिया के जरिए मुस्लिम समाज की आतंकवादी की छवि बनाने के सिलसिले को बंद किया जाए। आतंकवाद के मामलों में फर्जी तौर से फंसाए गए नौजवानों के बारे में फर्जी कहानियां गढ़ने वाली मीडिया को भी जवाबदेह बनाया जाए। क्योंकि जिस सामूहिक अंतःकरण का हवाला देकर अफजल को फांसी दी गई, उसके निर्माण में मीडिया की अहम भूमिका होती है। 
6. अमेरिका ने अपने आर्थिक-राजनीतिक हित के लिए दुनिया भर में आतंकवादी संगठनों को जन्म दिया है और उन्हें पाला पोसा है। दूसरे देशों के प्राकृतिक संसाधनों की लूट, लोकतांत्रिक सरकारों को हटाकर अपनी कठपुतली सरकार बनाने और अनेक जनंसहार के लिए जिम्मेवार अमेरिका के राष्ट्रपति को भारत के गणतंत्र दिवस पर अतिथि बनाने की यह संकल्प सभा निंदा करती है और इसे आत्मघाती कृत्य मानती है। राष्ट्र की संप्रभुता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए इसे खतरनाक मानते हुए अमेरिकी साम्राज्यवाद के समक्ष मोदी सरकार के इस आत्मसमर्पण का पुरजोर शब्दों विरोध करती है। 
9. यह ‘संकल्प सभा’ रामप्रसाद विस्मिल और अशफाकउल्ला की साझी शहादत और साझी विरासत तथा शहीदे-आजम भगतसिंह के तमाम साथियों की इंकलाबी विरासत को याद करते हुए देश की संपदा को देशी-विदेशी कंपनियों के हाथों बेचने वाली तमाम राजनैतिक ताकतों के खिलाफ एकताबद्ध संघर्ष का प्रस्ताव लेती है।
10. यह संकल्प सभा सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए संघर्ष का प्रस्ताव लेती है। 
11. खुदरा व्यवसाय में एफडीआई, भूमि अधिग्रहण व श्रम कानूनों में संशोधनों का यह ‘संकल्प सभा’ तीव्र विरोध करती है और बेरोजगारी, महंगाई तथा आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम बुनियादी सेवाओं की बदतर स्थिति के खिलाफ व्यापक जनांदोलन छेड़ने का प्रस्ताव लेती है। 
12. दलित-अल्पसंख्यक-पिछड़े समुदायों के गरीबों और खेत मजदूरांे की हत्या के लिए जिम्मेवार रणवीर सेना के राजनीतिक संरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए यह ‘संकल्प सभा’ अमीरदास आयोग की पुनर्बहाली की मांग करती है। 
13. सीलिंग से फाजिल और गैरमजरुआ तथा पर्चे की जमीन पर गरीब भूमिहीनों के हक-अधिकार के लिए 20 जनवरी को आरा में होने वाले प्रर्दशन में व्यापक जनभागीदारी की अपील यह ‘संकल्प सभा’ करती है। 
14. देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाली पार्टियों के खिलाफ जमीनी स्तर पर सांप्रदायिक सौहार्द और कौमी एकजुटता को कायम करने वाली जनराजनैतिक गोलबंदी को तेज करने की अपील यह ‘संकल्प सभा’ करती है। 

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