Thursday, December 11, 2014

शहादत दिवस पर याद किए गए मास्टर जगदीश



मास्टर जगदीश और उनकी क्रांतिकारी राजनीति ही पूंजीपरस्त राजनीति का सही विकल्प हो सकती है

आरा: 10 दिसंबर 2014
भोजपुर के क्रांतिकारी वामपंथी आंदोलन के संस्थापक का. जगदीश मास्टर के 43 वें शहादत दिवस पर आज स्थानीय पूर्वी नवादा स्थित मास्टर जगदीश स्मृति स्थल के पास भाकपा-माले नगर कमिटी की ओर से एक संकल्प सभा आयोजित की गई। जिसके मुख्य वक्ता भाकपा-माले के जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह ने कहा कि का. जगदीश मास्टर ने एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए शहादत दी, जिसमें जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजी-रोटी सबको हासिल हो और सबके लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की गारंटी हो। आज की जो राजनीतिक परिस्थितियां हैं, उसमें महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भूमि अधिग्रहण कानून और श्रम कानून में संशोधन तथा दिल्ली-पटना में जारी कुशासन के खिलाफ आंदोलन की तमाम ताकतों को एकजुट करते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए खुद को न्यौछावर कर देना ही का. जगदीश मास्टर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 
 का. जवाहरलाल सिंह ने कहा कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार, कुशासन, महंगाई को खत्म करने तथा 100 दिन में काला धन वापस लाकर हर परिवार को 15-20 लाख रुपये देने के वायदे के साथ आई भाजपा की सरकार ने जनता को धोखा दिया है। आज गरीबों के लिए बनने वाली योजनाओं को खत्म किया जा रहा है और अडानी सरीखे पूंजीपतियों के लिए जनता के खजाने को खोल दिया गया है। माले ने चुनाव के दौरान ही कहा था कि मोदी चाय बेचने वाले नहीं, देश बेचने वाले हैं, और आज यह बात सही साबित हो गई है।

का. जवाहरलाल सिंह ने कहा कि भाजपा लगातार सामंती-सांप्रदायिक उन्माद भड़काने में लगी हैं। एक ऐसा व्यक्ति जो रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर सिंह को गांधी कहता है, जिसके घर चोरी के बाद करोड़ों अवैध रुपयों का पता चलता है, जो मोदी को वोट न देने वालों को पाकिस्तान चले जाने की धमकी देता है, उसे मंत्रीमंडल में शामिल करके मोदी ने अपना असली चेहरा जाहिर कर दिया है। अमीरदास आयोग की रिपोर्ट लागू हुई होती, तो गिरिराज सिंह जैसे लोग जेल में होते और सामंती ताकतों पर अंकुश लगता। लेकिन नीतीश-मांझी सरकार ने उसे ठंढे बस्ते में डालकर इन सामंती-सांप्रदायिक ताकतों का मनोबल ही बढ़ाने का काम किया। मांझी सरकार का तो यह हाल है कि आज बिहार में सामंती ताकतें महादलितों की हत्या और महादलित महिलाओं के साथ गैंगरेप जैसी घटनाओं को अंजाम दे रही हैं। 

जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सहसचिव कवि जितेंद्र कुमार ने कहा कि जगदीश मास्टर एक लोकतांत्रिक समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध थे। आज जब पूरा लोकतंत्र ही खतरे में है, तब उनकी लड़ाई को और मजबूती से आगे बढ़ाना ही सही राजनैतिक विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार आने के बाद किसी के लिए अच्छे दिन नहीं आए हैं। कानून व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। गैंगरेप की घटनाएं और स्त्रियों के मान-सम्मान पर हमले बढ़ गए हैं। भूमि अधिग्रहण कानून में जो संशोधन किया जा रहा है, उससे छोटे-मध्यम किसानों की जमीन भी सुरक्षित नहीं रह जाएगी। सरकार जब चाहेगी पूंजीपतियों को उनकी जमीन दे देगी। रोजगार के मोर्चे पर भी यह सरकार फेल साबित हुई है। एसएससी में 16000 वैकेंसी थी, जिसे घटाकर इस बार 8000 कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग के जिन लोगों ने मोदी और भाजपा को वोट दिया, उनके जीवन के संकट भी बढ़ने वाले हैं। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक किसान-मजदूरों, बेरोजगार नौजवानों, आदिवासियों, महिलाओं के दबाव के बगैर इन पूंजीपरस्त सरकारों पर अंकुश संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि आज क्रातिंकारी सरकार के निर्माण के लिए अपनी ताकत लगाने की जरूरत है।

‘समकालीन जनमत’ के संपादक सुधीर सुमन ने कहा कि मास्टर जगदीश और उनके साथियों ने गरीब-मेहनतकश लोगों की राजसत्ता बनाने के लिए लड़ाई लड़ी और अपनी शहादत दी। उनके साथी रामनरेश राम हों या उनकी लड़ाई को आगे बढ़ाने वाले का. शाह चांद और का. महेंद्र सिंह जैसे जननेता, इन लोगों ने जमीनी स्तर पर इसका उदाहरण भी पेश किया कि गरीब-मेहनतकशों का राज आएगा, तो कितने ईमानदारी के साथ लोकतांत्रिक तरीके से समाज की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए काम होगा। मास्टर जगदीश और उनके साथियों ने धन की राजनीति के समानांतर क्रातिकारी जनराजनीति का विकल्प दिया। पूरी बेशर्मी के साथ पूंजीपतियों का हित साधने में लगी भाजपा को यही क्रांतिकारी जनराजनीति शिकस्त दे सकती है। 

आइसा जिला अध्यक्ष सबीर ने कहा कि अन्याय की ताकतों के खिलाफ न्याय की लड़ाई को जारी रखना ही जगदीश मास्टर को याद करने का सही तरीका है। माले आरा नगर कमिटी सदस्य राजनाथ राम ने मास्टर जगदीश से हुई एक मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वे वर्गीय एकता के प्रति संकल्पित थे। वार्ड पार्षदसुधा ने मास्टर जगदीशकी पंरपरा को आगे बढ़ाने की अपील की। वार्ड पार्षद गोपाल प्रसाद ने कहा कि मास्टर जगदीश और उनके साथियों की शहादत के बाद भी वह लड़ाई जारी है। मूल लड़़ाई अमीर और गरीब के बीच है। मंच पर जितेंद्र सिंह, ब्यासमुनि सिंह, अशोक कुमार सिंह भी मौजूद थे। संचालन करते हुए नगर सचिव का. दिलराज प्रीतम ने महंगाई, भूमि अधिग्रहण, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक उन्माद आदि के खिलाफ 12 दिसंबर को वामपंथी दलों के संयुक्त धरना और 18 दिसंबर को भाकपा-माले के पूर्व महासचिव का. विनोद मिश्र के स्मृति दिवस पर होने वाले कार्यक्रम में लोगों से शामिल होने की अपील की। इस अवसर पर का. सत्यदेव कुमार, सुरेश प्रसाद, दीनानाथ सिंह, शिवप्रकाश रंजन, राजू राम, उपेद्र पासवान, संदीप, सुधीर कुमार, राजू प्रसाद, देवानंद प्रसाद, लक्ष्मी पासवान, अमित कुमार बंटी, बालमुकुंद चौधरी कृष्णरंजन गुप्ता आदि मौजूद थे। 

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