Sunday, December 18, 2016

का. विनोद मिश्र स्मृति दिवस पर नोटबंदी के खिलाफ जनप्रतिरोध का ऐलान

मजदूर-किसानों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं, बच्चे-बूढ़ों के मुंह का निवाला छीन रही मोदी सरकार :  का. स्वदेश
क्रांतिकारी विपक्ष के निर्माण का का. विनोद मिश्र का नारा नए सिरे से प्रासंगिक हो उठा है 

18 दिसंबर को भाकपा-माले के पूर्व महासचिव का. विनोद मिश्र की अठारहवीं बरसी के अवसर पर भाकपा-माले भोजपुर जिला कार्यालय समेत तमाम प्रखंड मुुख्यालयों पर ‘संकल्प दिवस’ मनाया गया, साथ ही पंचायतों में पार्टी सदस्यों और आम जनता की बैठकें की गई, जिनमें मोदी सरकार द्वारा पैदा की गई आर्थिक आपातकाल की दशा और कारपोरेट फासीवाद के खिलाफ ताकतवर जनप्रतिरोध खड़ा करने का संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर सहार में भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य का. स्वदेश भट्टाचार्य ने कहा कि देश में आपातकाल जैसा माहौल पैदा हो गया है, मोदी सरकार ने नोटबंदी के फैसले से मजदूर-किसानों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं, बच्चे-बूढ़ों के मुंह का निवाला छीनने का काम किया है। इसके खिलाफ भाकपा-माले कार्यकर्ता मोदी हटाओ, रोटी बचाओ नारे के साथ ‘पोल खोल हल्ला बोल’ अभियान चलाएंगे और जनता को गोलबंद करेंगे। 23 दिसंबर को नोटबंदी के खिलाफ सहार प्रखंड पर भाकपा-माले की ओर से आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा। सहार में माले की वरिष्ठ महिला नेता का. मीरा जी, भोजपुर जिला सचिव का. जवाहरलाल सिंह, प्रखंड सचिव का. रमेश जी, इनौस के राज्य अध्यक्ष मनोज मंजिल, सहार प्रखंड के प्रमुख मदन जी, रामदत्त जी, लाल जी, आइसा नेता संदीप कुमार भी मौजूद थे। 

भोजपुर जिला कार्यालय में आयोजित ‘संकल्प सभा’ को संबोधित करते हुए समकालीन जनमत के संपादक सुधीर सुमन ने कहा कि सत्तर के दशक में भोजपुर में भीषण शासकवर्गीय दमन के दौरान कई महत्वपूर्ण कामरेडों की शहादत की राख से का. विनोद मिश्र ने अपने नेतृत्व में क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आंदोलन को न केवल पुनर्जीवित किया, बल्कि उसका पूरे देश में विस्तार किया। पूंजीवादी लूट, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी में संलिप्त शासकवर्गीय पक्ष-विपक्ष की राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ उन्होंने जनसंघर्षों और गरीब-मेहनतकश जनता की ताकत पर आधारित एक जनराजनीतिक पार्टी का निर्माण किया। आज इस देश की हालत यह है कि कल तक जो किसान, मजदूर और छोटे व्यवसायी क्रमशः भूमि अधिग्रहरण, श्रमविरोधी कानूनों और एफडीआई का विरोध कर रहे थे, उन्हें नोटबंदी के जरिए मोदी सरकार ने बुरी तरह तबाह कर दिया है। नौजवानों के रोजगार की इस सरकार को कोई चिंता नहीं है। यह सारे चुनावी वायदों से मुकर गई है। यह स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है कि नोटबंदी इस कारपोरेटपरस्त सरकार द्वारा जनता पर किया गया सीधा हमला है। लोग कतारों में अपना ही पैसा निकालने की कोशिश में मर रहे हैं। मरने वाले सिर्फ गरीब-मजदूर-महिला ही नहीं, नौजवान और फौजी भी हैं, वहीं भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों में चंदे मंे जमा पुराने नोट को काला धन न मानने को लेकर सहमति बन गई है। जब विपक्ष की ज्यादातर पार्टियां दिखावटी विरोध करके चुप हो गई हैं, ऐसे समय में का. विनोद मिश्र द्वारा क्रांतिकारी विपक्ष के निर्माण का नारा नए सिरे से प्रासंगिक हो उठा है। वाम महासंघ भी उनका सपना था। बेशक नोटबंदी के जरिए पैदा आर्थिक आपातकाल, महंगाई, बेरोजगारी, खेती-उद्योग धंधों और छोटे व्यवसाय की तबाही के खिलाफ वामपंथी दलों के एकताबद्ध कार्रवाइयों में उतरने का यही माकूल वक्त है। 

संकल्प सभा को संबोधित करते हुए जिला स्थाई समिति सदस्य का. जितेंद्र कुमार ने कहा कि मोदी सरकार बात तो गरीबों की करती है, पर काम अमीरों के लिए करती है। नोटबंदी ने इस तथ्य को और भी स्पष्ट कर दिया है। सरकार अपने कदम को जायद ठहराने के लिए लगातार प्रचार कर रही है, हमें भी उसके प्रचार के खिलाफ जमीनी स्तर तक प्रचार संगठित करना होगा और उनका पर्दाफाश करना होगा। 

रिक्शा ठेला टेंपू चालक संघ के नेता और वार्ड पार्षद का. गोपाल प्रसाद ने कहा कि नोटबंदी से सबसे अधिक नुकसान मजदूर वर्ग को हुआ है। कालाबाजारियों ने बट्टे पर उनके नोट बदले। लघु उद्योग बुरी तरह तबाह हुआ है। निर्माण क्षेत्र में भी काम कम हो गए हैं। भुखमरी की स्थिति बनती जा रही है। 

एक्टू नेता का. यदुनंदन चौधरी ने कहा कि मोदी पूंजीपतियों के सेवक हैं, पूंजीवाद के भीतर जनकल्याण की भावना हो ही नहीं सकती। नोटबंदी से परेशान और उसके कारण मर रहे लोगों के प्रति जिस बेरहमी का प्रदर्शन इस सरकार ने किया है, वह इसका सबूूत है। लेकिन एक झूठ को सौ बार कहा जाए तो वह वह सच लगने लगता है, हिटलर के मंत्री गोयबल्स की उसी राह पर चलते हुए आज भारत के सत्ताधारी गोयबल्स मोदी के बारे में गलतफहमी फैला रहे हैं। 

ऐपवा नेता संगीता जी ने कहा कि नोटबंदी का हमला महिलाओं, छात्र-नौजवानों, बेरोजगारों- सबको झेलना पड़ रहा है। मोदी ने जो भ्रम फैलाया था वह टूटने लगा है। 

जिला कमिटी सदस्य का. राजनाथ राम ने कहा कि कालाधन पर अंकुश लगाने के नाम पर नोटबंदी की गई थी, पर जनता के पास जो रकम थी, उसका ज्यादातर हिस्सा बैंकों में जमा हो चुका है, खुद आरबीआई ने यह स्वीकार किया है। जाहिर है इस सरकार का मकसद काला धन पकड़ने के बजाए जनता की मेहनत की कमाई को बैंकों में जमा करवाना था। दलितों-अल्पसंख्यकों की हत्याओं के लिए जिम्मेवार मोदी की सरकार की फासिस्ट प्रवृत्ति को का. विनोद मिश्र ने पहले ही चिह्नित कर दिया था। मोदी सरकार जब से आई है, तबसे दलितों-अल्पसंख्यकों पर हिंदुत्ववादियों के हमले बढ़े हैं, काॅरपोरेट कंपनियों के स्वार्थ को पूरा करने के लिए सरकार आदिवासियांे, किसानों, छात्रों और बुद्धिजीवियों सबके दमन पर उतारू है। काॅरपोरेट ताकतों के पक्ष में की गई खूनी नोटबंदी भी इस सरकार के फासीवादी चरित्र को ही उजागर करती है। 

आइसा के जिला अध्यक्ष का. सबीर ने कहा कि नोटबंदी की घोषणा के अगले ही दिन परीक्षा थी, पर छात्र परीक्षा की तैयारी करने के बजाए कतार में लगने को विवश हो गए। इस नोटबंदी ने मजदूर-किसानों को बेटों को, जो गांव से आकर शहरों में पढ़ाई करते हैं, भारी मुश्किल में डाल दिया है। भाजपाई छात्र संगठन नोटबंदी को लेकर लोगों के बीच भ्रम फैला रहा है। इस तरह की कोशिशों का भी जवाब देना होगा। 

संकल्प दिवस पर हुई सभा का संचालन आरा नगर कमेटी के सचिव का. दिलराज प्रीतम ने किया। उन्होंने आरा प्रखंड मुख्यालय पर 22 दिसंबर को नोटबंदी के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शन को व्यापक जनभागीदारी के साथ सफल बनाने की अपील भी की। 

संकल्प दिवस की शुरुआत का. विनोद मिश्र की स्मृति में एक मिनट का मौन से हुई। फिर उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर जिला कमिटी सदस्य का. अशोक कुमार सिंह भी मंच पर मौजूद थे। इस अवसर पर आरा शहर के अधिकांश सक्रिय कामरेड और विभिन्न जनसंगठनों के जिम्मेवार साथी मौजूद थे।

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