गरीबों-मजदूरों-किसानों की एकता और सांप्रदायिक भाईचारा ही कामरेड रामनरेश राम का संदेश
कामरेड रामनरेश राम के रास्ते चलकर ही जनता को सम्मान और लोकतांत्रिक अधिकार हासिल होगा: का. दीपंकर
आरा समेत भोजपुर के कई प्रखंडों और पंचायतों में रामनरेश राम की याद में जुलूस निकला
सहार में कामरेड दीपंकर जनसभा को संबोधित करते हुए |
(कामरेड रामनरेश राम की पाँचवी बरसी पर भोजपुर में दो विशाल जनसभाएं हुईं। संयोग से यह भोजपुर में चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था। परिसीमन के बाद जदयू संरक्षित एक अपराधी इस इलाके से जीत गया था, पर इस बार वह अपराधी लोजपा में चला गया है। परिसीमन के बाद दो हिस्से में बंट गए सहार विधान सभा के दोनों हिस्सों यानी तरारी और अगिआँव विधान सभा में इस बार माले प्रत्याशी सुदामा प्रसाद और मनोज मंजिल के प्रति जबर्दस्त जनसमर्थन दिख रहा है। इन दोनों जनसभाओं तक किसी चैनल के कैमरे नहीं पहुंचे। खुद लालू जी की सभा इस जनसैलाब के आगे बेहद फीकी थी। अखबार अब भी यहाँ माले को तीसरे नंबर पर दिखा रहे हैं। जबकि सच यह है कि माले यहाँ एक नंबर पर है। पेश है इन दोनों सभाओं में दिये गए भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य के भाषण का सार संक्षेप। साथ में अखबारों के कतरन और कुछ फोटो)
नारायणपुर/ सहार/ आरा/ अगिआंव बाजार : 26 अक्टूबर
भोजपुर में क्रांतिकारी वामपंथी आंदोलन के संस्थापक और सहार के पूर्व विधायक का. रामनरेश राम की पांचवी बरसी पर नारायणपुर और सहार में भाकपा-माले ने दो विशाल जनसभाएं की, जिनको संबोधित करते हुए भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भोजपुर में गरीबों और किसान-मजदूरों की राजनीतिक दावेदारी और सामाजिक बदलाव लाने का काम का. रामनरेश राम ने किया। उन्होंने इन ताकतों की एकता और सांप्रदायिक भाईचारे का जो संदेश दिया, उसी रास्ते से ही देश खुशहाली की ओर बढ़ेगा।
नारायणपुर की सभा में कामरेड दीपंकर |
का. दीपंकर ने कहा कि देश में एक बड़बोला नेता प्रधानमंत्री बन गया है, परिवर्तन के नाम पर उसने गरीबों, किसानों, नौजवानों- सबको धोखा दिया है। खाद्य सुरक्षा, मनरेगा, शिक्षा में कटौती कर दी गई और पूरा बजट पूंजीपतियों के लिए खोल दिया गया। सरकार बनने के बाद मोदी ने देशी-विदेशी कंपनियों के लिए किसानों की जमीन छीनने का फरमान जारी किया, जिसे पूरे देश में किसानों और वामपंथी ताकतों ने खारिज करने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस देश के सांप्रदायिक एकता को तोड़ रहे है। उन्होंने यही परिवर्तन लाया है कि वे गाय के नाम पर इंसान की हत्या कर रहे है। भाकपा-माले दंगा, लूट और नफरत की राजनीति करने वालों को कोई छूट नहीं दे सकती। मोदी सरकार कंपनियों और आरएसएस की कठपुतली है। महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और असुरक्षा के लिए यह सरकार जिम्मेवार तो है ही, यह निरंतर दलितों-अकलियतों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश कर रही है। इन साजिशों और जनता के जीने के अधिकार पर हमले का मुंहतोड़ जवाब भाकपा-माले देगी। देश की खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधनों नीलामी और साम्राज्यवाद की दलाली के कारण भाजपा के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन का माहौल बन रहा है। किसान, मजदूर, श्रमिक, छात्र, लेखक-बुद्धिजीवी सब विरोध में खड़े हो रहे हैं। बिहार में भी इनका विरोध हो रहा है। भाकपा-माले किसी कीमत पर भाजपा की सरकार नहीं बनने देगी।
का. दीपंकर ने महागठबंधन को निशाना बनाते हुए कहा कि पंद्रह साल तक लालू जी की सरकार रही और दस साल तक नीतीश कुमार की, इतने दिनों में इन लोगों ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। क्या ये इतने दिनों में सोन नहर का आधुनिकीकरण नहीं कर सकते थे, क्या बंद नलकूपों को चालू नहीं किया जा सकता था? इन लोगों ने भूमिहीनों को आवास और खेती की जमीन उपलब्ध नहीं कराई। जहां भी जमीन मिली, वह का. रामनरेश राम के संघर्ष के रास्ते के जरिए ही मिली। उन्होंने किसानों और बंटाईदारों के सवालों पर ही संघर्ष से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी, जिस लड़ाई को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। वे चाहते थे कि किसान-मजदूर बड़ी एकता बनाकर सामंती-पूंजीवादी व्यवस्था को बुनियादी तौर पर बदल दें। जब वे विधायक बने तो उन्होंने 1942 की लड़ाई में शहीद किसानों के लिए स्मारक बनाने का काम किया।
प्रभात खबर |
का. दीपंकर ने कहा कि नीतीश के शासन में हाल यह है कि आरा कोर्ट में बम विस्फोट करवाने वाला जेल से बाहर आ जा रहा है और बिजली, शिक्षा, सिंचाई के सवाल पर संघर्ष करने वाले मनोज मंजिल को जेल में डाल दिया जाता है। किसानों की धान खरीद और सिंचाई के सवाल पर जुझारू संघर्ष चलाने वाले सतीश यादव की हत्या हो जाती है और लालू-नीतीश की पार्टियां निंदा का बयान तक नहीं देती।
का. दीपंकर ने कहा कि का. रामनरेश की परंपरा यह है कि चुनाव भी जनता के बुनियादी सवालों से संघर्ष से अलग नहीं है। तरारी और जगदीशपुर से माले के उम्मीदवार किसान आंदोलनों के नेता हैं, संदेश और अगिआंव के माले प्रत्याशी नौजवान सभा के नेता रहे हैं, आरा के माले प्रत्याशी पूर्व छात्र नेता रहे हैं। ये सारे नेता विजयी होंगे तो विधानसभा में किसानों, नौजवानों और छात्रों की आवाज को बुलंद करेंगे। वे का. रामनरेश राम की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। इनकी जीत से बिहार में वास्तविक बदलाव के संघर्ष को मजबूती मिलेगी। बिहार बदलेगा तो देश भी बदलेगा।
इन दोनों सभाओं को संबोधित करते हुए माले प्रत्याशी सुदामा प्रसाद ने कहा कि माले ने जो जनघोषणापत्र जारी किया है, उसे लागू करने के लिए पूरी ताकत लगा दी जाएगी।
अगिआंव में संकल्प सभा को का. रवि राय और सुदामा प्रसाद ने भी संबोधित किया। संचालन उपेंद्र यादव ने किया। मंच पर शहीद सतीश यादव की पत्नी उषा यादव, का. मनोज मंजिल की पत्नी शीला, मीरा जी, का. स्वदेश भट्टाचार्य, का. रामजी राय, का. कुणाल भी मौजूद थे।
सहार में का. रामकिशोर राय ने संकल्प सभा का संचालन किया। सभा को सिद्धनाथ राम, कामता प्रसाद सिंह ने संबोधित किया।
राष्ट्रीय सहारा |
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